ताजा प्रविष्ठियां
Sunday, August 30, 2009
जी हाँ जो अभी तक महान हैं उन्हीं की महानता कम होने का डर है
जी हाँ , जो अभी तक महान हैं ,जाहिर है उन्हीं की महानता कम होने का डर है । जिन्हें महान माना ही नहीं उन्हें क्या डर, या जिन्हें दबी-ढंकी आवाज में महान माना, जैसे मज़बूरी हो, उन्हें भी कोई डर नहीं हो सकता , जैसे…. सरदार बल्लभ भाई पटेल,नेताजी सुभाष चंद्र बोस , लाल बहादुर शास्त्री, वीर सावरकर, व अन्य भी बहुत से वे क्रान्तिकारी जिन्हें ,बापू व अंकल भटके हुए समझते थे और इस कारण अंग्रेजो से शाबाशी पाते थे । जिनकी कानूनी पैरवी जिन्ना ने तो करी पर बापू व अंकल ने नहीं करी । आजादी के समय के समझौतों को और घटनाओं को आम जन को पता लगने पर सबसे ज्यादा डर उन्हीं को है जिनके बारे में इतना भ्रम फैलाया गया कि अब ये डर है कि कहीं सच पता चलने पर उनकी इतनी इज्जत भी न रहे जितनी होनी चाहिए थी । जबकि आजादी के समय कुछ समझौते मज़बूरी के कारण भी करने पड़े थे ,जैसा जसवंत सिंह की पुस्तक के बारे में चर्चाएँ पढ़- सुन कर लग रहा है ….उस समय पटेल नंबर वन नहीं थे इसलिए हो सकता है वो मज़बूरी में हों, पर जो नंबर वन थे उनकी मज़बूरी थी या अन्य कोई कारण । इस बात का पता लगने पर हो सकता है उनकी महानता कम हो जाए । ऐसा डर है। इससे किसी के वोट कम हो सकते हैं और किसी के वोट बढ़ भी सकते हैं। पर जसवंत सिंह जैसे लेखक होते रहेंगे (तब भी हुए थे) इतिहासकार तो नहीं पर सच लिख कर कोपभाजन होते हैं। इसीलिए इतिहास को दबाया-छुपाया नहीं जा सकता ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें