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Tuesday, May 26, 2020

राष्ट्रीय खेल हॉकी के खिलाड़ी के निर्वाण पर श्रद्धांजलि


हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी और राष्ट्रीय खेल को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलवाने वाले कुछ जादूगर खिलाडियों में शुमार बलबीर सिंह सीनियर के निर्वाण पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली |
आजादी के बाद लगातार तीन तीन ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिलाने में आपकी मुख्य भूमिका रही जिससे अन्तर्रष्ट्रीय जगत में हॉकी के कारण भारत परचम लहराया और भारतियों की पहचान बनी |
छियानवे वर्ष की आयु में भी आप नवोदित हॉकी खिलाडियों के प्रेरणा के स्रोत थे | और अधिक जीते सबकी इच्छा तो यही होती है लेकिन शरीर की भी अपनी क्षमता सीमा होती है कष्ट असहनीय होते हैं लेकिन आपने भरपूर जीवन जीया | आपके जीते जी आपको भारत रत्न मिल जाना चाहिए था लेकिन लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया आशा है भविष्य में मिल जाये | 







महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह के निधन ...हॉकी के दिग्गज बलबीर सिंह सीनियर ...

Monday, May 25, 2020

कोरोना चला शहरों से गांवों की ओर

दोस्तो अब अपने उत्तराखंड की आमतौर पर शांत रहने वाली घाटियाँ चोटियाँ गर्म होने लगी हैं | इसमें मौसम का असर तो है ही गर्मी अपने चरम पर चढ़ती जा रही है कहीं कहीं जंगल भी जलने लगे हैं जो इस बार अभी तक बचे हुए थे जिनको बचाने में जल्दी जल्दी होने वाली वर्षा और #लॉकडाउन का बहुत बड़ा रोल रहा है |
पानी की कमी तो गर्मियों में हर साल की समस्या है | इस महामारी के चलते विवाह आदि कार्यक्रमों में केवल पचास लोगों को पूरी सावधानी से शामिल होने के निर्देशों के साथ स्थानीय प्रशासन से अनुमति भी लेनी पड़ रही है जिसके कारण विवाह के आयोजन कम हो रहे हैं |
पर #कोरोना महामारी के डर से जो प्रवासी लोग बड़े छोटे शहरों से पहाड़ों में अपने गाँवों में आये हैं उनको लेकर भी यहाँ की फिजाएं गरम हो रही हैं | उनको लेकर देशभर में राजनीति तो हो ही रही है कहीं कहीं सुस्त शासन प्रशासन का रवैया भी इसको गरमी पहुंचा रहा है |
लेकिन गरमी ग्रामवासी व प्रवासियों के व्यवहार से भी बढ़ रही है दोनों ही कुछ कुछ नासमझी का व्यवहार कर रहे हैं | और ये स्थिति कमोबेश देश के सभी गाँवों की है |
कोरोना संक्रमित तेजी से बढ़ रहे हैं हालाँकि हमारे यहाँ पहाड़ों में अभी यह केवल प्रवासियों में ही मिल रहा है जो लोग पहले से यहीं रह रहे हैं उनमे नहीं पाया गया है | फिर भी प्रवासियों के आने के साथ कोरोना संक्रमितों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी होने लगी है पहाड़ के ग्रीन जोन वाले जिले अब रेड जोन में बदलने लगे हैं |
बहुत से प्रवासी बंधू यह नहीं समझ पा रहे कि आप बेशक सैकड़ों मील से चलकर आ गए आपको कोरोना नहीं हुआ अगर हुआ होता तो जहाँ पर आपकी जांच हो रही है वहीँ रोक दिया जाता | लेकिन क्या पता आपके अन्दर या कपड़ों पर या सामान पर उसके वायरस हो सकते हैं जो रास्ते में वाहन से उतरते चढ़ते दूकान पर सामान खरीदते काउंटर छूते पैसे छूते जेब में रखने पर आप पर लग गए |
हालाँकि इसी के लिए #सेनेटाइजर, हाथ धोना आदि आदि भी बताये जा रहे हैं लेकिन वो ज्यादा कारगर उपाय नहीं है इसलिए आपको #क्वारंटीन रहने को कहा जा रहा है इसका आपको बुरा नहीं मानना चाहिए |
क्योंकि इसका #वायरस आमतौर पर चौदह दिन में परिपक्व होकर अपने लक्षण दिखाता है |
दूसरी ओर ग्रामवासियों को भी ये समझकर व्यवहार नहीं करना चाहिए जो भी आ रहा है वो कोरोना संक्रमित ही है उसको रोग की गंभीरता अद्रश्यता आदि को समझाकर स्वयं भी उससे दूरी रखते हुए शांति से समझाना चाहिए |
एक बात जो कहीं कहीं देखने में आ रही है क्वारंटीन हुए जागरूक प्रवासी बंधू अपने गाँवो में अच्छे काम करके प्रशंसा के पात्र बन रहे हैं | कहीं उन्होंने मुख्य सड़क से गाँव तक पैदल मार्ग को चौड़ा कर बाइक जाने लायक बना दिया कहीं विद्यालय चमका दिए कहीं बागवानी बना दी ये भी अपने आप में एक मिसाल है |
ऐसे ही उत्साही प्रवासियों को सुझाव है (जो वापस जाने वाले हैं) कि आप वापस जाने से पहले आपके पास जो भी हस्तकला, कौशल, तकनीकी ज्ञान विज्ञान है उसे यहाँ रहने के इच्छुक युवाओं को दे जाओ जिससे पहाड़ों में रहने वाले लोग कुछ भी कर सकें |