ये तो हमारे मानवाधिकार का हनन है।
आख़िर जब हमारा मन रास्ता चलते मन्दिर के आगे सर झुकाने को करेगा तो क्या हम , अक्षर धाम मन्दिर जायेंगे ?
ये आदमी का मन है हर समय डरा हुआ रहता है क्या पता कब कोई दुर्घटना हो जाए या कब किसी पुलिस वाले को गलतफहमी हो जाए , कब कोई बदमाश अपनी बाइकों से हमें ठोकते हुए निकल जाएँ। मतलब, कुछ भी हो सकता है, अब जो होना है वो तो होगा ही लेकिन हर दस कदम पर अगर कोई धर्मस्थल मिल जाए तो सर झुकाने में कुछ तसल्ली तो होती है । तो ये तो हमारे मानवाधिकार का हनन है । वैसे भी जितने बड़े धर्मस्थल में जायेंगे उतना बड़ा दान देना पड़ेगा लेकिन इन छोटे –छोटे धर्मस्थलों में तो मामूली सी भेंट से काम चल जाता है हमें लगता है कि हमें भी उतना ही पुण्य मिल गया जितना किसी को किसी बड़े धर्मस्थल में एक करोड़ रुपये देकर मिला होगा । फ़िर उस बेरोजगार आदमी की भी तो सोचो जो बेचारा उससे कुछ कमाकर उसमे से कितनो का पेट भरता है (पुलिस वाले,व छुट्भायिये नेता टाईप के गुंडे) तब उसके परिवार का खर्चा चलता है । क्या उसे बेरोजगार कर दोगे । इसके बदले हर चौराहे पर एक धर्म स्थल होना चाहिए लाल बत्ती की जरुरत ही नही रहेगी चौराहे पर चौमुखा धर्मस्थल होना चाहिए ,लोग गाडियां रोक कर मत्था झुकायेंगे कुछ दान देंगे जिससे दुर्घटनाएं भी कम होंगी और पैसा भी जमा होगा । अभी और सुझाव देता पर क्या करूँ मैं लिखने में बहुत आलसी हूँ । फ़िर कभी बताऊंगा हाँ मेरे मानवाधिकार का उल्लंघन मत करो । इन्हें बनने दो तभी तो राजनीति करने को कुछ होगा।
आख़िर जब हमारा मन रास्ता चलते मन्दिर के आगे सर झुकाने को करेगा तो क्या हम , अक्षर धाम मन्दिर जायेंगे ?
ये आदमी का मन है हर समय डरा हुआ रहता है क्या पता कब कोई दुर्घटना हो जाए या कब किसी पुलिस वाले को गलतफहमी हो जाए , कब कोई बदमाश अपनी बाइकों से हमें ठोकते हुए निकल जाएँ। मतलब, कुछ भी हो सकता है, अब जो होना है वो तो होगा ही लेकिन हर दस कदम पर अगर कोई धर्मस्थल मिल जाए तो सर झुकाने में कुछ तसल्ली तो होती है । तो ये तो हमारे मानवाधिकार का हनन है । वैसे भी जितने बड़े धर्मस्थल में जायेंगे उतना बड़ा दान देना पड़ेगा लेकिन इन छोटे –छोटे धर्मस्थलों में तो मामूली सी भेंट से काम चल जाता है हमें लगता है कि हमें भी उतना ही पुण्य मिल गया जितना किसी को किसी बड़े धर्मस्थल में एक करोड़ रुपये देकर मिला होगा । फ़िर उस बेरोजगार आदमी की भी तो सोचो जो बेचारा उससे कुछ कमाकर उसमे से कितनो का पेट भरता है (पुलिस वाले,व छुट्भायिये नेता टाईप के गुंडे) तब उसके परिवार का खर्चा चलता है । क्या उसे बेरोजगार कर दोगे । इसके बदले हर चौराहे पर एक धर्म स्थल होना चाहिए लाल बत्ती की जरुरत ही नही रहेगी चौराहे पर चौमुखा धर्मस्थल होना चाहिए ,लोग गाडियां रोक कर मत्था झुकायेंगे कुछ दान देंगे जिससे दुर्घटनाएं भी कम होंगी और पैसा भी जमा होगा । अभी और सुझाव देता पर क्या करूँ मैं लिखने में बहुत आलसी हूँ । फ़िर कभी बताऊंगा हाँ मेरे मानवाधिकार का उल्लंघन मत करो । इन्हें बनने दो तभी तो राजनीति करने को कुछ होगा।
ATYANT TEEVRA AUR AUR PAINEE BAAT KAHNE ME MAHIR HAIN AAP..........
ReplyDeleteAAPKO IS POST K LIYE BADHAAI !
आपके विचारो से सहमत हूँ . सही है यह मानव अधिकारों का हनन ही है.
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