क्या हम गरीब हैं ? क्या ये रुपया हमारा नहीं है ?
जिस देश में एक सांसद का आठ हजार पाँच सौ रूपये रोज, राष्ट्रपति साढे सात लाख रोज ,
प्रधान मंत्री सवा छः लाख रोज,
मंत्रिमंडल साढे आठ सौ करोड़ सालाना ,
इसी तरह राज्य सरकारों में राज्यपाल का
पन्द्रह से बीस करोड़ सालाना
मुख्यमंत्री तेरह से सत्रह करोड़ सालाना ......... खर्च हो ,तो ,
क्या हम गरीब मुल्क हैं ? (ये आंकडे बाबा रामदेव के मंच परश्री राजीव दीक्षित बताते हैं।आँखे खोलने के लिए इतना ही काफी है वह तो और भी बताते हैं) ।
देश के राजनेता गरीब नहीं है गरीब है तो जनता जनादर्न जिन्हें एक जून की मंहगी दाल रोटी जुटाने के लिए भारी मसककत करना पड़ती है . . इस देश को आप गरीबो का अमीर देश भी कह सकते है .
ReplyDeleteतभी हम ग़रीब हैं महोदय.
ReplyDeleteअमीर मंत्री , गरीब जनता .. इसमें ताज्जुब कैसा .. भारत तो विविधताओं को देश सदा से रहा है !!
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