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Sunday, August 23, 2009

राष्ट्र हित में या स्वयं हित में....?

1 स्टिंग ऑपरेशन सचमुच धारदार हथियार है , और इसका इस्तेमाल अपनी बिरादरी की तरफ़ नहीं करना ।
कभी भी नहीं करना ।

अपने बिजनेस के लिए किसी छोटे दूकानदार की तरह बनते न्यूज चैनल ,कितने अनैतिक होते जा रहे हैं इसी तरह समाचार पत्र भी । न्यूज चैनलों की पोल खोल दी सुधीश पचौरी ने ,दूसरों का शोषण उजागर करने वाले ये चैनल अपने संवाददाताओं को कितना खुश रखते हैं यह पता लगा ।


३सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय न्यायशास्त्र की मीमांसाओं से अनजान वकीलों के अज्ञान पर कहा,.... वकीलों ने अगर पूर्वजों की उपलब्धियों को जाना होता तो आज देश का ये हाल नहीं होता ,....
अंग्रेजों से पॉवर ट्रांसफर करते समय वकीलों ने ही उस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे ।

४ प्रधानमंत्री की अम्बानी बंधुओं से अपील, कि "राष्ट्र हित सोचो " पर उन्होंने अपनी रेंकिंग के बारे में सोचना है अरबपति बनने के लिए राष्ट्रहित नहीं सोचा जाता, दुनिया में नंबर वन बनकर भारत का(या अपना) नाम ऊँचा करना है।


५. जीवित लोगों की प्रतिमाएँ भी स्थापित हो सकती हैं , ऐसा मायावती का सोचना है। (अपने कर्मों के कारण )
जब मरने के बाद भरोसा न हो कि अपनी प्रतिमा लगाने वाला कोई होगा तो जीवित रहते ही लगा सकते हैं ।

6.गंगा की सफाई के लिए दो सौ करोड़ रूपये और दिए, पहले दो सौ पचास करोड़ रूपये दिए थे ,
शायद भ्रष्ट व्यवस्थाने ईशारा कर दिया ,कि आगामी चुनाव में भ्रष्ट अधिकारीयों से चंदा चाहिए तो और रुपया दो । अब गंगा कि सफाई तो कम दिए गए रुपयों कि सफाई होगी

७.भुखमरी के खिलाफ कानून बनने की वकालत, अम्रत्यसेन ने की ,पर हमें डर है की कहीं हमारी सरकार भुखमरों के खिलाफ कानून न बना दे । या कुछ जो थोड़ा बहुत खा कर जिन्दा हैं उनके खिलाफ कोई कानून न बन जाए ।

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