पर्यावरण को हो रहे नुकशान से प्रकृति अपना प्रकोप दिखा रही है ।
पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तहसील में एक गाँव का तोक (गाँव से हटकर थोडी आबादी ) रात ही रात में अतिवृष्टि से आए बहाव और मलवे से बह गया ।
प्रकृति को परेशान तो सभी कर रहे हैं लेकिन जब प्रकृति झल्ला कर गुस्सा करती है तो इसी तरह आम आदमी चपेट में आ जाता है । इनके कई परिवारों में तो कोई नामलेवा भी नहीं बचा । इन्होने अकेले तो प्रकृति को नुकशान नहीं पहुँचाया होगा ।
अगर पाप और पुण्य होता है तो इन लोगों की मृत्यु का पाप सभी पर्यावरण को हानि पहुचने वालों को लगेगा । और आज के समय में तो सभी (मैं भी) इसके दोषी हैं ।
आज भी तो हम सचेत नही है. प्रकृति का प्रकोप सहना ही पडेगा.
ReplyDeleteबादलों के फटने से ऐसे हादसे हमेशा से ही होते आए हैं .. इसमें हमलोगों के द्वारा किए जा रहे प्राकृतिक असंतुलन का शायद कोई हाथ नहीं होता !!
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