अगर भारत आजाद होते समय विभाजित नहीं होता तो…….?
इस प्रश्न के कई उत्तर होते हैं ,प्रश्न बेशक एक लाईन का है लेकिन उत्तर लिखने वाले पूरी किताब भी लिख सकते हैं ,क्या पता लिखी भी हो पर मैं यहाँ पर कुछेक बिन्दुओं पर ही केवल प्रकाश डालूँगा ।
शायद एकाध और महान नेता के बारे में हमें पढ़ाया जाता । कभी तो केवल दो ही नेता (गाँधी जी व नेहरू जी) महान बताये जाते थे । पिछले कुछ समय से तीसरे नेता (सर.पटेल) को भी महान बताने लगे । वैसे आम जनता की नजरों में तो अन्य भी कई महान नेता हैं लेकिन उनकी बात करने में सरकारी महानों की महानता का कम होने का डर ,जैसा हमारी सरकार खास कर कांग्रेस सरकार को होने लगता है। ये तो सर.पटेल को भी महान नहीं कहना चाहते थे ,वो तो भला हो हिंदूवादी राजनीती का जिसने बल्लभ भाई पटेल को भी महान कहने के लिए मजबूर कर दिया ।
अब बासठ साल बाद पता लग रहा है कि जिन्ना भी महान थे ,तो फ़िर अकेले जिन्ना ही क्यों ….. ? पकिस्तान अकेले जिन्ना की जिद से तो नहीं बना होगा , पकिस्तान के जो भी नेता होंगे ,अगर देश विभाजित नहीं होता तो वे भी तो हमारे नेता ही होते अपनी सुविधा के अनुसार सरकार उन्हें महान बताती।
अगर भारत विभाजित नहीं होता तो …… राजधानी कहाँ होती ,शायद दिल्ली ही होती ।
अगर भारत विभाजित नहीं होता तो …. शायद आतंकवाद नहीं पनपता । कई सारे प्रश्न दिमाग में उठने लगते हैं इस बात की कल्पना करने में कि भारत आजाद होते समय विभाजित नहीं होता तो….?
आजाद होते समय न होता तो बाद में हो जाता… :) अंग्रेज जाने के बाद जिन्ना पर बैन थो्ड़े ही लग जाता… :) :) :) अरे भैया जब असम में अभी से अलग होने की मांग उठा रहे हैं बांग्लादेशी तो क्या आजादी के बाद चैन से बैठते क्या? वैसे भी देश को तोड़ने का सबसे आसान तरीका है, उस इलाके में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक बना दो… बस वह टुकड़ा अपने-आप भारत से अलग हो जायेगा… या तो प्रत्यक्ष या फ़िर कश्मीर जैसा अप्रत्यक्ष… जब तक हिन्दू संस्कृति बहुसंख्यक है वह सबको साथ लेकर चलेगी… :)
ReplyDeleteअगर भारत आजाद होते वक्त विभाजित नहीं होता तो:- मुल्लाउमर और लादेन की मेजवानी हमारे जिम्मे आ जाती ! हा-हा !
ReplyDeleteसोचनीय प्रश्न !!