ताजा प्रविष्ठियां

Friday, August 7, 2009

महंगाई का राज

जी हाँ महंगाई किसलिए बढ़ रही है ,इस बारे में जो कुछ मेरी सूक्ष्म बुद्धि में आया , सोचा आपको भी बता दूँ ,
कुछ समय पहले बड़ी-बड़ी पूंजीपति हस्तियों द्वारा रिटेल स्टोर्स की
(दुकानदारी की )शुरुआत की गई थी , जिसका विरोध भी हुआ था ,और एक साल बाद ही इनमे से ज्यादातर बंद हो गए पता नहीं क्यों ?
पर, मैं एक बात जो कई सालों से देख रहा हूँ ;वो ये, कि ये पूंजी पति घराने या विदेशी कम्पनियां जिस भी सामान की (जो जीने के लिए जरुरी हो) दुकानदारी शुरू करते हैं उसमे ये सफल हो पायें या नहीं पर उन वस्तुओं के दाम कुछ समय बाद, बढ़ ही जाते हैं ,एक और बात, कि उस वस्तु की उत्पादन के कारण या अन्य किसी भी कारण से जबरदस्त कमी हो जाती है । वर्तमान की महंगाई भी मुझे ऐसी ही लगती है। ये एक साजिश है और सरकारें इसमें शामिल हैं । इन कम्पनियों और पूंजीपतियों ने बाजार से ज्यादातर सामान जमा कर लिया है ,अब मनमाने दामों पर बेच रहे हैं । सरकार भी जनता की तसल्ली के लिए थोड़े बहुत दाल-चावल का इंतजाम कर बेचने का ड्रामा कर रही है ।

No comments:

Post a Comment

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें