पिछले दिनों मैंने सुना सरकार नेताओं की सुरक्षा हटाने की सोच रही है । लालू,मुलायम व अन्य नेताओं को गुर्राते भी देखा। आज पढ़ा कि सरकार नेताओं की सुरक्षा नहीं हटाएगी।
आख़िर सरकार को ये सब दिखावा एक ड्रामे के तौर पर क्यों करना पड़ा ?
हिन्दुस्तान की एक सौ पन्द्रह करोड़ आम जनता को दिखाने के लिए कि देखो, हम तो चाहते हैं कि खर्चा कम हो पर ये नेता नहीं चाहते ।
नेताओं की सुरक्षा हटा कर तुम उन्हें एक आम आदमी की तरह क्यों बनाना चाहते हो ,जब आम आदमी नहीं चाहता कि उसका नेता उसके बीच में बिना सुरक्षा के आए तो तुम क्यों चाहते हो। रही खर्चे की बात तो भारत की जनता अपने आप चाहे भूखे –नंगे रहे, पर, इनका खर्चा वहन करेगी , आजादी के बाद से ही करती आ रही है। अब रही बात सुरक्षा की ,तो भई सुरक्षा के लिए कमांडो चाहिए किसे ? वह तो शान दिखाने को चाहिए ,नहीं समझे, जनता उसे ही नेता मानती है जो कम से कम दस गार्डों से घिरा हुआ हो, इक्का-दुक्का गार्ड तो लल्लू-पंजू एम.एल.ऐ.,उ,मैल्ले के पास होता है। देखो भई सुरक्षा ,आख़िर किससे चाहिए ? आम जनता से कोई खतरा होता नहीं, जिस दिन आम जनता से खतरा होने लगेगा कोई नेता बनने को तैयार ही नहीं होगा ,आतंकवादियों से सुरक्षा का कोई फायदा नहीं, क्योंकि उन्होंने अगर हमला करना होगा तो कितनी ही सुरक्षा हो वह हमला कर ही देंगे ,अब रहे गुंडे बदमाश जिनका कि वास्तव में इन नेताओं को डर होता है क्योंकि अधिकांश ये उन्हीं में से आए हैं।तो सुरक्षा है किसके लिए इनको दो ।
जनता अपने खून-पसीने की कमाई से जो कर्मचारियों को पाल रही है ,
उनका कहीं न कहीं तो इस्तेमाल होना ही चाहिए ,सबसे पहले नेता(नेत्री भी) फ़िर अभिनेता (अभिनेत्री भी), अधिकारी, खिलाड़ी अब तो डॉक्टर भी, कुछ दिनों के बाद सरकारी सभी कर्मचारी भी सुरक्षा मांगेंगे क्योंकि इनकी हड़ताल से जनता परेशान होने लगी है ,जो जो विशेष बनता जाता है उसे सुरक्षा देकर आम आदमी से अलग कर दो ,तभी उसे अपनी हैसियत का आभास होता है । जनता का क्या है जब इनको बड़ा बना सकती है इनकी फिल्मों,मैचों के टिकट खरीद कर या विज्ञापनों से प्रेरित होकर ,इन्हें वोट देकर, तो क्या इनका सुरक्षा का खर्च नहीं उठा सकती ?
बिलकुल ठीक कह रहे हैं आप ..यही तो इस देश का दुर्भाग्य है की देश के प्रतिनिधि ..जनता से ही सुरक्षित होना चाहते हैं..
ReplyDeleteपैनी धार से सुसज्जित एक तीखा एवं सटीक व्यंग्य
ReplyDeleteबधाई