कहते हैं “कभी भारत सोने की चिड़िया था” पर मेरा मानना है कि भारत सोने की चिड़िया अभी भी है,कैसे …..? आप भी जानिए ।
दुनिया का सबसे महंगा लोकतंत्र हमारे यहाँ है ।
जिस आदमी को गरीब बताया जाता है कि ,बीस रूपये रोज की कमाई होती है तो वह खर्च भी बीस रूपये से ज्यादा नहीं कर पाता। वह गरीब आदमी कितना अमीर है स्वयं उसे भी अंदाजा नहीं है। हैं तो हम लोग भी गरीब की श्रेणी के आदमी पर हमारे बंद खजाने से जितना रुपया हमारे लिए व्यवस्था बनाने वाले व्यवस्था बनाने के नाम पर खर्च करते हैं।
उसे देख कर मेरा सीना फूल कर कुप्पा हो गया । कि हम भी अमीरों की श्रेणी के आदमी हैं।
आप भी बताईये क्या हम गरीब हैं ? क्या ये रुपया हमारा नहीं है ?
जिस देश में एक सांसद का आठ हजार पाँच सौ रूपये रोज
राष्ट्रपति साढे सात लाख रोज
प्रधान मंत्री सवा छः लाख रोज
मंत्रिमंडल साढे आठ सौ करोड़ सालाना
इसी तरह राज्य सरकारों में
राज्यपाल का पन्द्रह से बीस करोड़ सालाना
मुख्यमंत्री तेरह से सत्रह करोड़
क्या हम गरीब मुल्क हैं ?
(ये आंकडे बाबा रामदेव के मंच पर
श्री राजीव दीक्षित बताते हैं।
आँखे खोलने के लिए इतना ही काफी है
वह तो और भी बताते हैं) ।
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