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Thursday, July 16, 2009

जैसे को तैसा

"रीता बहुगुणा जोशी" ने जो कहा एक दम चालू जुबान में कह दिया; ये बात तो आम आदमी रोज सोचता और बोलता है ,जब भी ये नेता-अधिकारी किसी पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा देकर भूल जाते हैं ।
जोशी जी ने
नेताओं वाली भाषा का इस्तेमाल न कर के, भावावेश में आम आदमी की भाषा का इस्तेमाल कर दिया । "फ़िर भी... कीचड़ में पत्थर मर दिया" ।

बसपाई ये भूल गए की उनकी नेता के विचार भी ऐसे ही होते थे ।
जो भी हुआ उससे केवल न्यूज चैनल वालों को लाभ हुआ,इन्होने इसीलिए इस बात को इतना उछाला वरना किसी का ध्यान इस बात की तरफ़ नहीं जाता। इनका तो फायदा हुआ जोशी जी का कितना नुकशान हो गया ,पता नहीं। सच में न्यूज चैनलों की चांदी ही चांदी।
आजकल ये सचिन और काम्बली की दोस्ती के पीछे भी पड़े हैं।

पता नहीं ये समाज के भले के लिए काम कर रहे हैं या समाज में तोड़-फोड़ के लिए, और, व्यभिचार फैलाने वाले चैनलों और हीरो-हिरोईनों के प्रचार-प्रसार में अपना समय बिता रहे हैं बिना कुछ किए कराये पैसा भी खूब रेटिंग भी खूब । धन्य हो भारतीय समाचार चैनलों की नंगई के लिए ।

2 comments:

  1. काश सबके मन का एक़्सरे हो जाता तो ---

    चैनल वालो को तो खूब मसाला मिलता ---

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  2. पूरा का पूरा घटनाक्रम ही अफसोसजनक, शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है.

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