आज गुरु पूर्णिमा है,माता-पिता,गुरु-देवता को चरणस्पर्शी प्रणाम।
हम अपनी पुरानी और स्वस्थ-सार्थक परम्पराओं को भूल गए ,और निरर्थक प्रचलनों के नाम पर अपनी सभ्यता-संस्कृती को कोसने लगे
बिना कुछ जाने, विदेशी या पश्चिमी परम्पराओं का अनुकरण करने लगे। हो सकता है कि विदेशी परम्पराओं में भी कुछ अच्छी हों ,फ़िर भी
“अपने घर का खाना छोड़ कर हमेशा दूसरों के घर खाने जाना”
अपना स्वाभिमान ही कम करता है, या "रोजाना होटल में खाना "आदमी को बीमार बना देता है। अपने यहाँ की अच्छी परम्पराओं को नहीं भुलाना चाहिए।
आज कल गुरुओं की भरमार है,हर जगह गुरु,बाबा,स्वामी,महाराज,संत-शंकराचार्य मिल जायेंगे,पर सब मूर्ख बनाने में लगे हुए हैं। कुछ तो प्रत्यक्ष रूप से ठग रहे हैं कुछ परोक्ष रूप से ,हर कोई ,”पर उपदेश कुशल बहुतेरे”की तर्ज पर
दुनिया-समाज को मूर्ख बनाने में लगा है । कहने के लिए सभी समाज का भला करने में लगे हैं , पर फ़िर भी समाज पतनशील होता जा रहा था । आज हिंदुस्तान सबसे आगे है भ्रष्टाचार में,रिश्वतखोरी में,
चरित्रहीनता में, अकर्मंयता में ,अपराध में ,चोरी और सीनाजोरी में । पर, कभी यही भारत,विश्व गुरु होता था सत्यनिष्ठा में,इमानदारी में,चारित्रिक मूल्यों में, अब, जब से “स्वामी रामदेव” का अवतरण हुआ है
बदलाव आरम्भ हो गया है,गुरु,महाराज,स्वामी,बाबा,संत-शंकराचार्यों की परिभाषा भी बदलने लगी है,फ़िर भी “एक के तीन” बनाने वाले या हाथ से सोना और राख निकलने वाले बाबा पैदा हो जा रहे हैं,क्योंकि जब तक मूर्ख बनने वाले होंगे तो बनाने वाले पैदा होते रहेंगे ,होते रहे हैं। खैर ...... ।
अब बहुत समय बाद भारत को बाबा रामदेव जैसा व्यक्तित्व मिला है,जिस पर कुछ उम्मीद बनती दिख रही है।
आज गुरु पूर्णिमा पर हम बाबा रामदेव को कोटि-कोटि चरणवंदन करते हैं।
विश्वके सारे गुरुओ को प्रणाम
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