हाल ऐ गुलिस्तां जो अब है ,
सोचता हूँ कुछ वक्त बाद क्या होगा ॥
(जहर)हद से पार हुआ तो क्या होगा ॥
सो गई इंसानियत ऐ आदम ,
(इंसानियत)ख़त्म हुई तो क्या होगा ॥
अय्यास हुए हुक्मरां जिस वतन के ,
अवाम न जागी तो क्या होगा ॥
वैसे तो पार हो गई कई हदें दोस्तो,
आखिरी हद पार हुई तो क्या होगा॥
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