ट्वेंटी-ट्वेंटी में भारत हार गया।
क्यों हारा ? ये हारने वाला खेल थोड़े ही होता है।
पिछली बार विश्व कप जीता था तब नहीं हारा तो अब
कैसे हार गया ।
हम अपने खिलाड़ियों को भगवन की तरह पूजते हैं।
फ़िर भी उन्होंने हारने की जुर्रत की । बेशुमार पैसा ये
क्रिकेट की बदौलत कमाते हैं फ़िर भी ये हारे। आख़िर क्यों ?
ऐसी गलती ये क्यों करते हैं जिससे हारें। खेल में गलती.... ?
बड़ा ताज्जुब है कि खेल में गलती क्यों हो जाती है।
क्रिकेट खेलना है तो हमेशा जीतो । बस जीतो…जीतो और जीतो।
हारो मत। दोस्तो क्या कुछ ऐसा ही नजरिया हमारे टी.वी.
न्यूज चैनलों का नहीं होता। खेल से पहले भी ये चैनल
कुछ न कुछ ऐसा करते हैं कि ऐसा लगता है ये टीम इंडिया
पर अनावश्यक दबाव बना रहे हैं। जैसे इस बार भी इन्होंने
सहवाग और धौनी के बीच बेमतलब की मनमुटाव की खबरें
बना कर उड़ा भी दी। खिलाड़ियों की एकाग्रता तो भंग हो ही जाती है।
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