तुमने तो अपना जीवन समर्पित कर दिया ,
हमें आजादी दिलाने को जम कर लोहा लिया ॥
अपनी हंसी उड़वाई, लाठी-डंडे, गोली खायी,
फिर भी थमने नहीं दी लडाई,
दुश्मन को ललकारा और फांसी खायी॥
पर भारत माता के; हे ! वीर सपूतो,
15 अगस्त 1947 को हम आजाद हुए,
तुम्हारे सपने, अरमानों और विचारों को
…..और तुम्हें भूल गए !
बिल्कुल यही हुआ है.
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