शोषण-शोषण चिल्लाने वालो देख लो'जिसने शोषित होना होता है वह शोषित होता ही है'अब देख लो मायावती के शोषण को कोई क्या करे...? कहते हैं ना “बन्दर को दी हल्दी उसने …… कहीं और मल दी"। जबकि मलनी मुहं पर थी।मायावती जी ने कुछ दलित लोगों का भला तो शायद किया ही है जिन्होंने आज (तथाकथित) सवर्णो की बराबरी हासिल कर ली है।
शोषण-शोषण चिल्लाने वालो देख लो बहन जी की माला को; ये नकली नोटों की नहीं हैं।
इससे प्रकृति का नियम सही सिद्ध होता है, 'जिसने शोषित होना होता है वह शोषित होता ही है' चाहे किसी तरह से हो। जो पैदा ही शोषण करने के लिए हुआ; या शोषित होने के लिए हुआ है, वो वही करेगा जिसके लिए पैदा हुआ है। अब देख लो मायावती के शोषण को उनके ही दलित समाज के लोग नहीं समझ पा रहे हैं। आखिर पैदा ही शोषित होने के लिए हुए हैं। कोई क्या करे...? कहते हैं ना “बन्दर को दी हल्दी उसने …… कहीं और मल दी"। जबकि मलनी मुहं पर थी।
इसी तरह मायावती को दी सत्ता, वो बिठा रहीं हैं भट्टा । चलो ठीक है अपना और अपनों का भला तो कर ही रहीं हैं। साधारण दलित को बढ़िया भोजन और आवास एक दो दिन के लिए तो मिल ही जा रहा है। और मेरा दावा है कि इनमे से निन्यानवे प्रतिशत इस दो -चार दिन के खाने-पीने और रहने से अपने जीवन को धन्य मानेंगे। क्योंकि इतने के लिए ही पैदा इसके लिए हुए हैं।
मायावती जी ने कुछ दलित लोगों का भला तो शायद किया ही है, तभी तो करोड़ों की माला मिल रही है ।
ये उन लोगों द्वारा कमाए असली नोटों की माला है जिन्होंने आज (तथाकथित) सवर्णो
की बराबरी हासिल कर ली है।
पर ऐसी बराबरी का क्या लाभ जो उक्त कहावत को चरितार्थ करे।
बन्दर को दी हल्दी ... उसने कही और( )मल दी बहुत अच्छा लगा मायावती ko सत्ता दी उसने कोठियां बना ली एक ही बात है बन्दर को दी .....
ReplyDelete