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Thursday, March 4, 2010

सचिन मैच फिक्सर तो नहीं हैं...? (भारत रत्न दिया क्यों जाता है )

इतने भ्रष्टाचार, अव्यवस्थाओं, असुविधाओं-रुकावटों के बाद भी जो दुनिया भर में नाम कमा ले, नंबर एक बन जाये ; उसे भारत रत्न तो क्या सब कुछ मिलना चाहिए ;और वो (सबकुछ)देश वासियों ने को सचिन को दे रखा है।


मैं तेंदुलकर को भारत रत्न का विरोधी नहीं हूँ, क्योंकि उन्होंने कम से कम उन नाचने-गाने वालों से तो अच्छा काम किया है ,“जो नंगई फैला कर भारत रत्न बनना चाहते हैं या बन गएहैं


पर मेरा प्रश्न फिर भी अपनी जगह है ;कि भारत रत्न आखिर दिया क्यों जाता है ? भारत में तो सभी भारत रत्न हैं।

क्या जो भारत में पैदा हुआ वो भारत रत्न नहीं है ? क्या एक मां के लिए उसके बच्चे किसी भी रत्न से कम होते हैं ? या कोई भी बच्चा मां से ये आशा करता है कि मां केवल उसे ही अपना रत्न माने ?


आखिर क्या कारण है कि भारत रत्न के लिए इतनी लालसा होती है। उनकी भी; जो इस पुरस्कार से अधिक प्रसिद्धि,पैसा और प्रतीक (मैडल); भारतीयों द्वारा पहले ही पा चुके हैं । केवल भारतीयों द्वारा; अपितु विश्व द्वारा भी।


दरअसल इस भारत रत्न अभियान को देख कर ऐसा लग रहा है जैसे किसी मैच की खुलेआम, डंडे के बल पर फिक्सिंग की जा रही हो। जबकि तेंदुलकर मैच फिक्सर नहीं हैं।


एक प्रश्न और उठता है कि भारत रत्न मिलने से क्या मिलता है ? क्या केवल नाम ही नाम मिलता है या कुछ और (अर्थ), या कुछ और (सुविधाएँ) भी मिलता है ?


सचिन तेंदुलकर को क्या आवश्यकता है भारत रत्न की; क्या उसे पैसे की कमी है..? नहीं।

क्या उसे प्रसिद्धि चाहिए ..? नहीं (वह पहले ही विश्व प्रसिद्द है केवल भारत में ही नहीं )

तो क्या उसे प्रतीकों की लालसा है..? ये कहना चाहिए नहीं। क्योंकि उसके पास प्रतीक भी कम नहीं होंगेतो सचिन क्यों भारत रत्न की लालसा कर रहा है…?


सचिन भारत रत्न की लालसा नहीं कर रहा; वह तो इतना सीधा है कि उसे पता ही नहीं है, कि उसके कारण कितनेबिचौलिए लखपति से अरबपति बन गए। कितने नेता क्रिकेट संघों के नाम पर अरबों में खेल रहे हैं।

यहीं पर मेरा मुख्य सवाल आरम्भ होता है कि आखिर भारत को; या भारत के लिए

क्रिकेट ने या सचिन ने आखिर दिया (किया) क्या है ?


सचिन ने जो भी किया क्रिकेट के लिए किया, सचिन को जो भी मिला; क्रिकेट की बदौलत ही मिला।

हिसाब बराबर चल रहा है। सचिन ने कम किया क्रिकेट ने कम दिया


भारत रत्न उन्हें चाहिए जिन्होंने सचिन का गुणगान करके ही अपनी रोटी चलानी हैचाहे समाचार चैनल हों या बुद्धिजीवी-पत्रकार हों, या क्रिकेट संघों के पदाधिकारी या कुछ नेताहो सकता है कुछ मैच फिक्सिंग वाले भी इनसे मिले हुए हों।

एक बात पक्की है की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की विज्ञापन एजेंसियां इसमें आंतरिक रूप से रूचि ले रही होंगी

2 comments:

  1. जिसको न निज गौरव यथा निज देश का अभिमान है
    वह नर नहीं नर पशु निरा और मृतक समान है

    सचिन इस लिये भारत रत्न नहीं हैं कि क्रिकेट से उन्हे कम या ज्यादा मिला बल्कि इस लिये क्योंकि देश उन्हे कृत्यों और उपलब्धियों से विश्व पटल पर गर्व करता रहा है और करता रहेगा।

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  2. समझ में नहीं आ रहा क्या कहूँ और उससे ज्यादा ये समझ में नहीं आ रहा कि आप क्या कहना चाहते है और जो कह रहे है क्यों कह रहे हैं

    बड़ी असमंजस की स्थिति है

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