इतने भ्रष्टाचार, अव्यवस्थाओं, असुविधाओं-रुकावटों के बाद भी जो दुनिया भर में नाम
मैं तेंदुलकर को भारत रत्न का विरोधी नहीं हूँ, क्योंकि उन्होंने कम से कम उन नाचने-गाने वालों से तो अच्छा काम किया है ,“जो नंगई फैला कर भारत रत्न बनना चाहते हैं या बन गए” हैं ।
पर मेरा प्रश्न फिर भी अपनी जगह है ;कि भारत रत्न आखिर दिया क्यों जाता है ? भारत में तो सभी भारत रत्न हैं।
क्या जो भारत में पैदा हुआ वो भारत रत्न नहीं है ? क्या एक मां के लिए उसके बच्चे
आखिर क्या कारण है कि भारत रत्न के लिए इतनी लालसा होती है। उनकी भी; जो इस पुरस्कार से अधिक प्रसिद्धि,पैसा और प्रतीक (मैडल); भारतीयों द्वारा पहले ही पा चुके हैं । न केवल भारतीयों द्वारा; अपितु विश्व द्वारा भी।
दरअसल इस भारत रत्न अभियान को देख कर ऐसा लग रहा है जैसे किसी मैच की खुलेआम, डंडे के बल पर फिक्सिंग की जा रही हो। जबकि तेंदुलकर मैच फिक्सर नहीं हैं।
एक प्रश्न और उठता है कि भारत रत्न मिलने से क्या मिलता है ? क्या केवल नाम ही नाम मिलता है या कुछ और (अर्थ), या कुछ और (सुविधाएँ) भी मिलता है ?
सचिन तेंदुलकर को क्या आवश्यकता है भारत रत्न की; क्या उसे पैसे की कमी है..? नहीं।
क्या उसे प्रसिद्धि चाहिए ..? नहीं (वह पहले ही विश्व प्रसिद्द है केवल भारत में ही नहीं )।
तो क्या उसे प्रतीकों की लालसा है..? ये कहना चाहिए नहीं। क्योंकि उसके पास प्रतीक भी कम नहीं होंगे। तो सचिन क्यों भारत रत्न की लालसा कर रहा है…?
सचिन भारत रत्न की लालसा नहीं कर रहा; वह तो इतना सीधा है कि उसे पता ही नहीं है, कि उसके कारण कितने “बिचौलिए लखपति से अरबपति” बन गए। कितने नेता क्रिकेट संघों के नाम पर अरबों में खेल रहे हैं।
यहीं पर मेरा मुख्य सवाल आरम्भ होता है कि आखिर भारत को; या भारत के लिए
क्रिकेट ने या सचिन ने आखिर दिया (किया) क्या है ?
सचिन ने जो भी किया क्रिकेट के लिए किया, सचिन को जो भी मिला; क्रिकेट की बदौलत ही मिला।
हिसाब बराबर चल रहा है। न सचिन ने कम किया न क्रिकेट ने कम दिया।
भारत रत्न उन्हें चाहिए जिन्होंने सचिन का गुणगान करके ही अपनी रोटी चलानी है। चाहे समाचार चैनल हों या बुद्धिजीवी-पत्रकार हों, या क्रिकेट संघों के पदाधिकारी या कुछ नेता। हो सकता है कुछ मैच फिक्सिंग वाले भी इनसे मिले हुए हों।
एक बात पक्की है की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की विज्ञापन एजेंसियां इसमें आंतरिक रूप से रूचि ले रही होंगी।
जिसको न निज गौरव यथा निज देश का अभिमान है
ReplyDeleteवह नर नहीं नर पशु निरा और मृतक समान है
सचिन इस लिये भारत रत्न नहीं हैं कि क्रिकेट से उन्हे कम या ज्यादा मिला बल्कि इस लिये क्योंकि देश उन्हे कृत्यों और उपलब्धियों से विश्व पटल पर गर्व करता रहा है और करता रहेगा।
समझ में नहीं आ रहा क्या कहूँ और उससे ज्यादा ये समझ में नहीं आ रहा कि आप क्या कहना चाहते है और जो कह रहे है क्यों कह रहे हैं
ReplyDeleteबड़ी असमंजस की स्थिति है