आज कल मौसम बदल रहा है।
हमारे ऋषियों(वैज्ञानिकों) ने
शायद इसी बदलाव को देखते हुए
नव वर्ष इसी समय लागू किया,
एक काम और करा नवरात्र मनाने की
परम्परा भी बनाई और नौ दिन उपवास
करने को प्रेरित भी किया क्योंकि इस समय
ऋतु परिवर्तन के कारण व पेड़-पौधों में
नवांकुर व फलों के बौर आने के कारण,
वातावरण में कई प्रकार के कीटाणु हो जाते हैं ,
सर्द और गर्म मौसम का संधिकाल होने से भी,
बीमारियाँ होती हैं, शरीर भी इस परिवर्तन के
कारण ज्यादा संवेदनशील हो जाता है, यदि खानपान
में सावधानी न बरती जाए तो कोई भी अस्वस्थ हो जाए।
शायद इसीलिए वर्ष में दो बार, मुख्य ऋतू परिवर्तन
के दिनों में नवरात्र मानाने की परम्परा बना दी।
और नवरात्रों में उपवास रख कर मन को भक्ति-भावः
में लगा कर(न तामसी पदार्थ खाये जायें न तामसी
विचार मन में आयें)अपने को स्वस्थ रखा जा सकता है।
“इति नवरात्र व्रत-कथा"
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