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Wednesday, March 25, 2009

आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं सोचता,
आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं बोलता
कुछ नहीं सोचने
और
कुछ नहीं बोलने पर
आदमी
मर जाता है।
उदय प्रकाश की लिखीं
ये पंक्तियाँ मैंने उत्तराखंड की पत्रिका
रीजनल रिपोर्टर में पढीं सोचा ब्लोगरों के
लिए भी लिख दूँ ।
तभी मेरे मित्र जोशी जी आ गए उनहोंने
चार लाईन और जोड़ दी
कि
जो कुछ नहीं पढता
जो कुछ नही लिखता
जब लिखता नहीं
जब पढता नहीं
आदमी मर जाता है।

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