वैसे भी विदेशी(खिलाड़ी) हमारे यहाँ आने से डर रहे थे।
आयोजकों-मालिकों(सॉरी)फ्रेंचायजियों को नुकशान न हो जाए
देश की साख और भावनाओं को नुकशान हो,तो,हो,
खिलाडिओं, उनके मालिकों और आयोजकों को नुकशान नहीं होना चाहिए।
लगता है आई.पी.एल.वालों के भाग से छींका टुटा है, जो चुनाव हो रहे हैं।
होने दो विदेश में केवल घाटा ही होगा।यहाँ से ज्यादा दर्शक और कहीं
नहीं मिलने।
यहां भी राजनीति की बू आ रही है , चलिये देखते हैं कि कहां होगें आई पी एल ।
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