पी.एम.बनने वालो पहले एम.पी. तो बनो
सब जानते हैं कौन कितना योग्य है,
अपने मुहं मियां- मिट्ठू तो न बनो।
कुर्सी पाने का सपना तो शायद सभी देखते हैं।( हैसियत के अनुसार)
लेकिन,पी.एम.की कुर्सी का सपना देखने के लिए वैसे तो एम.पी. होना चाहिए,
पर जब से "मनमोहन सिंह" पी.एम. बने हैं (बिना लोकसभा सदस्य बने)
तब से बिना एम.पी. बने सब पी.एम, बनने का सपना देख रहे हैं।
कोई बाप- दादाओं की यादें ताजा कर रहा है ,क्योंकि अपने आप तो कुछ करा नहीं है
अभी तक सिवाय रैलियों और दो-चार गरीबों के यहाँ खाने के।
कोई दलित होने के कारण इस कुर्सी पर अपना अधिकार समझ रहा है।क्योंकि दलितवादी राजनीति
का दौर चल रहा है।कई लोग अलग-अलग भानुमती का कुनबा बनाने में लगे है।
ये कोई नहीं बता रहा कि देश के लिए उसके पास क्या सोच(नीति) है।
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