"गिर्दा का जाना" श्रद्धांजलि “ पुनर्जन्म फिर इसी पहाड़ में हो”
गिर्दा का जाना....जैसेएकमुकम्मलइन्सानकाजानाहै । मेरीनजरमेंवेएकवास्तविक "इन्सान" थे । मैंनेउनकेगीतोंसेहीउन्हेंजाना। जब "उत्तराखंड" केलिएहोनेवालेआन्दोलनोंमेंउनकेजनगीतोंकोगायाजाताथा। औरउनमेंसेमुझेएकगीततोअत्यंतअच्छालगताहै; घुननमुनईनाटेक, ततुकनीलगाउद्येख, जैंताएकदिनतोआलोऊदिनयोदुनीमें.... जैंताएकदिनतोआलो….. । येगानागातेहुएमेरागलाभरआताहै ।
उन्होंने पीड़ित जन की आवाज को जितनी सहज भाषा में गाने के लिए बनाया उतना ही सहज जीवन भी जिया।उनकेतेवरहरप्रकारकीबुराई केविरोधमेंरहे चाहे सामाजिक बुराई हो राजनीतिक हो या सरकारी, इसीलिए वह लगभग सभी आन्दोलनों में भागीदार रहे । उनकेगीतोंकोभीसभीनेअपनेआन्दोलालोंकाहिस्साबनाया । अपने जनगीतों के माध्यम से वह हमेशा समाज को याद आते रहेंगे । मेरी तरफ से यही उनको श्रद्धांजलि है कि उनकापुनर्जन्मफिरइसीपहाड़मेंहो । और वह अपने जाने से पैदा हुए शून्य को स्वयं ही भरें ।
हमारी श्रद्धांजलि है
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