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Saturday, August 14, 2010

ईमानदारों और बेईमानों का मिश्रण

अरे ! छोडोमेरे भाईयो; सभी ईमानदार और बेईमान साथियोअब भ्रष्टाचार के बारे में फालतू का गाल बजाना छोडोचिल्ला तो ऐसे रहे हो जैसे भ्रष्टाचारियों को फांसी दिलवा के ही मानोगे अरे भईया इतना आत्मविश्वास से चिल्लाना ठीक नहींबेचारे ! देश के भोले-भाले लोग, मूर्ख बन जाते हैंउन्हें लगता है; जैसे भारत में अभी कानून का राज कायम है , अभी न्याय जिन्दा है, अभी ईमानदारी बची हुयी है
सबने अपनी आदत ख़राब करली है, ईमानदार तो ईमानदार, बेईमान भी दीदे फाड़-फाड़ कर चिल्लाने लगते हैं थोड़ा सा भी कहीं पर भ्रष्टाचार का अंदेशा होता है तो चिल्लाना शुरू कर देते होछोटी सी बात; और बतंगड़ इत्ता बड़ा बन जाता है कि; कुरेदने पर सच में ही भारी भरकम बतंगड़ निकल आता है
अब ; ईमानदारों का तो काम ही है जो गलत हो रहा है उसके विरोध में चिल्लानाजो ईमानदार हैं, शरीफ हैं, सीधे-सादे हैं, सच पूछो तो वे चिल्लाने के आलावा कुछ और कर ही नहीं पाते इसीलिए उनके दिलों को तसल्ली देने को ये अंग्रेजों का बनाया कानून लागू है की ; वो चिल्ला सकते हैं
पर उनकी आड़ में बेईमानों ने भी चिल्लाने के लिए इस अधिकार का अपने हित में उपयोग करना शुरू कर दिया नौ सौ चूहे खा कर हाजी बनने की सोच रहे हैं पिछले बासठ सालों से यही तो गलत हो रहा है
वैसे ये बेईमान बड़े चालाक होते हैं, इसी चालाकी के कारण अब तो सब ईमानदार ही लगते हैंऔर इसी चालाकी के कारण पिछले किसी भी मामले में देख लो आज तक कोई सजा नहीं हुयीलगभग सभी मामले लटके हुए हैं, क्योंकि; सभी जगह ईमानदारों और बेईमानों का मिश्रण हो गया है इसलिए

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