अरे ! छोडो… मेरे भाईयो; सभी ईमानदार और बेईमान साथियो । अब भ्रष्टाचार के बारे में फालतू का गाल बजाना छोडो । चिल्ला तो ऐसे रहे हो जैसे भ्रष्टाचारियों को फांसी दिलवा के ही मानोगे। अरे भईया इतना आत्मविश्वास से चिल्लाना ठीक नहीं । बेचारे ! देश के भोले-भाले लोग, मूर्ख बन जाते हैं। उन्हें लगता है; जैसे भारत में अभी कानून का राज कायम है , अभी न्याय जिन्दा है, अभी ईमानदारी बची हुयी है ।
सबने अपनी आदत ख़राब करली है, ईमानदार तो ईमानदार, बेईमान भी दीदे फाड़-फाड़ कर चिल्लाने लगते हैं। थोड़ा सा भी कहीं पर भ्रष्टाचार का अंदेशा होता है तो चिल्लाना शुरू कर देते हो। छोटी सी बात; और बतंगड़ इत्ता बड़ा बन जाता है कि; कुरेदने पर सच में ही भारी भरकम बतंगड़ निकल आता है ।
अब ; ईमानदारों का तो काम ही है जो गलत हो रहा है उसके विरोध में चिल्लाना। जो ईमानदार हैं, शरीफ हैं, सीधे-सादे हैं, सच पूछो तो वे चिल्लाने के आलावा कुछ और कर ही नहीं पाते इसीलिए उनके दिलों को तसल्ली देने को ये अंग्रेजों का बनाया कानून लागू है की ; वो चिल्ला सकते हैं ।
पर उनकी आड़ में बेईमानों ने भी चिल्लाने के लिए इस अधिकार का अपने हित में उपयोग करना शुरू कर दिया । नौ सौ चूहे खा कर हाजी बनने की सोच रहे हैं। पिछले बासठ सालों से यही तो गलत हो रहा है ।
वैसे ये बेईमान बड़े चालाक होते हैं, इसी चालाकी के कारण अब तो सब ईमानदार ही लगते हैं। और इसी चालाकी के कारण पिछले किसी भी मामले में देख लो आज तक कोई सजा नहीं हुयी । लगभग सभी मामले लटके हुए हैं, क्योंकि; सभी जगह ईमानदारों और बेईमानों का मिश्रण हो गया है इसलिए ।
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