(सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन बढाने का प्रावधान हर छह महीने में होना चाहिए, बेशक आयकर सीमा डेढ़ से घटाकर एक कर दो।
बाकि, बजट के लिए ज्यादा सोचने-समझने या तनाव लेने की जरुरत नहीं है , सबका जोर महँगाई कम करने पर है पर तुम महँगाई कम करने की कोई भी चिंता ना करना , क्योंकि अगर महँगाई कम हो गयी तो देश के अमीर लोग और अमीर कैसे होंगे। देश की सम्रद्धि को अमीरी से ही तो नापा जाता है; गरीबों को देख कर कौन कहता है कि हमारा देश आगे बढ़ रहा है।
तो इस तरह के उपाय बजट में करना, कि गरीब ख़त्म ना भी हों तो इनकी अवस्था इस तरह की हो जाये; कि ये चिल्लाने के काबिल भी ना रहें।
उसके लिए महँगाई और बढे तो अच्छा है। ताकि गरीब लोगों का सारा समय अपने लिए दाल-रोटी-सब्जी जुटाने में ही लग जाये। बच्चे स्कूल ना जा पायें; अमीरों की गाड़ियों के शीशे साफ़ करें। वैसे भी, स्कूलों में अध्यापक होते नहीं हैं; और जो खाने की व्यवस्था सरकार ने वहां की है केवल उसके लालच से वहां जाना उन्हें पसंद नहीं। क्योंकि उन्हें अब चाउमिन और पिज्जा जैसा खाना भाने लगा है( जो उन्हें होटलों रेश्त्राओं के बाहर जूठन में मिल जाता है) । सो विदेशी कम्पनियों को इस क्षेत्र में लाने के लिए कुछ करना।
पेट्रोल-डीजल गैस इत्यादि के दाम तो बिलकुल कम ना करना इससे महँगाई कम होने का डर है। हाँ, कारों-मोटर बाईकों,कूलर- फ्रिज-ऐ .सी व बड़े-बड़े मकानों के दाम कम हो जाएँ ऐसी व्यवस्था जरुर करना। "इण्डिया" पर ही तो दुनिया की नजरहै, "भारत" का तो उच्च वर्ग और सरकार वैसे भी विरोधी है।
एक बात याद रखना किसानों को किसी तरह ख़त्म करना है; उसका उपाय करना। अगर ये ख़त्म हो गए तो इनकी जमीन उद्योग लगाने व कालौनी बनाने के काम आएगी, वैसे लेने पर तो ये कभी-कभी अपने हितैसियों के भड़काने पर विरोध भी कर देते हैं। जैसे अभी पिछले दिनों कई जगह हो रहा था। इन किसानो को ख़त्म करने के लिए इन्हें कोई सुविधा , सब्सिडी इत्यादि का प्रावधान बजट में ना हो; बल्कि यदि पहले से भी कोई हो तो उसे बंद किया जाये। क्योंकि इन्होने अपने हितैसियों के साथ बी.टी. बैंगन का विरोध किया था ,जिससे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सामने सरकार की नाक नीची हो गयी थी। इसलिए इन्हें सबक सिखाना अब तुम्हारे ही हाथ में है । ये ख़त्म होंगे तो विदेशों से आयत ज्यादा करना पड़ेगा; जिसमें सरकार के मंत्रियों-अधिकारियों को कुछ ज्यादा लाभ (कमीशन) होगा।
सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन बढाने का प्रावधान हर छह महीने में होना चाहिए, बेशक आयकर सीमा डेढ़ से घटाकर एक कर दो।
नयी भर्तियाँ बिलकुल बंद कर देनी चाहिए। वर्तमान कर्मचारियों की सेवानिवृति आयु साठ के बदले सत्तर होनी चाहिए। पांच वर्ष पुराने कर्मचारियों को अपने कार्यालय के कार्य करने के लिए बेरोजगारों में से तीन- तीन हजार रूपये में नौकरी पर रखने छूट होनी चाहिए , इससे बेरोजगारी का समाधान भी होगा।
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