आजकलभारतमेंहरकोई आमआदमीकानामजपरहाहै।आमआदमीकानामले,लेकरदुहाईदेरहाहै।आमआदमीकेलिएचिंतितहोरहाहै।महँगाईहोगयीतोआमआदमीकाक्याहोगा, आतंकवादियोंसेआमआदमीकीचिंता, नक्सलवादियोंसेआमआदमीकीचिंता, मराठीमानुषसेआमआदमीकीचिंता,बजटआनेवालाहैतोआमआदमीकाध्यानरखनेकीबातकीजारहीहै।हरकोईअपनीरोटीआमआदमीकेनामपरसेंकरहाहैचाहेसमाचारचैनलहोंयाकोईबुद्धिजीवीअखबारहोंयापत्रिका, यहाँ तक कि ब्लोगर भी आम आदमी की चिंता में घुल रहे हैं।
परमैंपूछताहूँकिआमआदमीहैकहाँ...? वहतोआजादीकेबादकुछदिनतकहीरहा, फिरख़त्महोताचलागया।उसकोख़त्मकरनेमेंसबसेबड़ायोगदाननेताओंकारहा,इन्होंनेआमआदमीकोआमआदमीनहींरहनेदिया। कांग्रेसीबनादिया,जनसंघी-भाजपाईबनादिया, सपाई-बसपाईबनादिया, माकपाई-भाकपाई, माओवादी-लेनिनवादीबनादिया,नक्सलवादीबनादिया, हिन्दू-मुस्लिम, ईसाईबनादियाजाट-गुज्जर,पंडित-बनिया,ऊँचा-नीचाबनादिया। आमआदमीकहाँरहा, जोकुछबचेथेउनमेंसेकोईअम्बानी(उद्योगपति) बनगया, तोउसनेभीआमआदमीकोख़त्मकरनाशुरूकरदिया(ज्यादासेज्यादालाभकमाकर )।कुछथोड़े, औरबचेतोउन्हेंसरकारीनौकरबनाकरख़त्मकरदिया। अबबताओआमआदमीकहाँरहा।जोहैं, (ऐसानहींहैकिनहींहैं) कम हैं, उनकीआवाजलोकतंत्रमें; बहुमतकेआगेकौनसुनरहाहै।सबअपने-अपनेखासोंकेबारेमेंसोचेंगे।आमआदमीतोख़त्महोगयाहैउसकेलिएक्यासोचना।आमआदमीकीकौनसुनेगा, क्योंकिवहस्वयंबोलतानहींउसेकोईखास(नेता) चाहिएहोताहैऔरहमारेभारतके "खास" ज्यादातरभ्रष्टहोगएहैं।तभीतो, सरकारेंअपनेलिएकोईकमीनहींकरतीऊपर(राष्ट्रपति )सेलेकरनीचे(सरपंच)तकसबकोखुशरखतीहैचाहेदोनंबरमेंहीदेनापड़े।अपनेकर्मचारियोंकोखुशरखतीहैछुट्टियाँ,हड़ताल, पदोन्नतिऔरवेतनकेसाथ-साथअवैधमोटीकमाईकाअवसर।अबजोबचेउन्हेंइननेताओंनेअपनेदलोंकासदस्यबनालियाकईप्रकारकेपददेदिए, उससेज्यादाउन्हेंजातियोंमें, धर्ममें,प्रान्तमें,अमीरमें, गरीबमें,बाँटकरआमआदमीनहींरहनेदिया।परयेभूलरहेहैंअगरआमआदमीनहींरहातोदेश व देश कीसंस्कृति संस्कार भीनहींरहेंगे। इननेताओंकेऊपरशायदहीकिसी(बचेहुए ) आमआदमीकोभरोसाहोकियेदेशकोबचाएरखेंगेयेतोबी. टी.बैंगनकेलिएबिकजानेवालेनेताहैं।
No comments:
Post a Comment
हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें
No comments:
Post a Comment
हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें