(बिना ताकत के बैंगन को आखिर जनता ने नकार दिया। नकारें भी क्यों ना। इस तरह तो भविष्य में बिना ताकत का गेहूं,चावल, दालें,फल-सब्जियां और सभी कुछ हो जायेगा)।
बिना ताकत का मतलब…? उसमे कीड़ा मारने की ताकत तो होगी ही क्या वो ताकत कम है, आदमी उसे खायेगा तो वो ताकत उसमें भी आएगी।
आदमी भी बी.टी.बैंगन की तरह बी.टी. मानव बन जायेगा। (प्रयोगशाला में ही बनाना पड़ेगा) सोचो; कितना लाभ होगा हमारी सरकारों को, अस्पतालों का खर्च बचेगा daukatron की मनमानी ख़त्म होगी दवाओं का गोरखधंधा कम होगा आदि- आदि । आदमी निरोगी रहेगा।
अरे भाई ये तो सोचा ही नहीं…. सोचो …सोचो ।
आदमी के अपने जीवाणुओं-कीटाणुऔं का क्या होगा ..?ये भी सोचना।
जिसे देशवासियों को खिलाने के लिए मनमोहन सरकार बेताव है :)
ReplyDelete