“संगीतकार ऐ आर रहमान को पुरस्कार”
(लगता है, सच में आने वाला समय
भारत और भारतीयों का है; तभी तो,)
जिस गीत में “जय हो” के आलावा कुछ समझ
नहीं आ रहा उसे पुरस्कार मिल जाना
किस्मत खुल जाना ही है।
तभी स्वयं रहमान को भी "अनबिलीवेबल"
लगा। इनके और गाने इससे ज्यादा अच्छे हैं
अफ़सोस मैं आज तक टेंशन पॉइंट नहीं देख पाया. आप काफी अच्छा लिखते हैं. जय हो गाने में अगर कुछ समझ आता तो न्यूज चैनल वाले दिन भर उसे ही दिखाते.
ReplyDeleteरावण और उसके खानदानियों को लगता था कि केवल वे ही सभ्य हैं
ReplyDeleteवैसे ही आज के इन कल्चर्ड लोगों को लगता है ये इनकी बहन बेटियाँ भी सूर्पनखा ही बनना चाहती हैं आप ने बिल्कुल ठीक लिखा है धन्यवाद