मीडिया को बधाई अपनी आजादी बचा ली(प्र.मंत्री ने आश्वासन दे दिया)
अपने अधिकारों के प्रति इसी तरह की जागरूकता दिखानी चाहिए।
इनके कर्तव्यों के प्रति कोई और क्यों पूछे या कहे; ये अपने आप सोचेंगे।
चैनल इनके, अधिकार इनके, तो कर्तव्य (या करतब) भी इनके, किसी सरकार या
नेता की हिम्मत कैसे हो इनसे कुछ कहने की।
इनको हथियारों का प्रयोग सिखाया ही ऐसा है कि ये भाई बहन को लड़वा दे( संजयदत्त)।
खुलेआम इधर की उधर लगाने में इन्हें महारत हासिल है , इसी हथियार से
ये पार्टियों और नेताओं का बंटाधार करवा देते हैं । जिस तरह पैसा सबसे ज्यादा
कमाने वाला ही सबसे सफल माना जाता है वही मज़बूरी इनकी भी है नंबर एक बनने
के लिए इन्हें जिस हद तक जाना पड़े ये जाते हैं अब ये इनकी कुशलता ही है कि ये अपनी
कमियां छुपा लेते हैं , इन्हें बिजनेस भी तो देखना है जिन ख़बरों से विज्ञापन ज्यादा मिलें
उन्हें दिनभर दिखाना ही पड़ता है इसमें "नैतिकता क्या देखनी"जनता का भरोसा तो है ही।
वैसे भी कौन सी जनता इतनी समझदार है कि इनकी चालाकियों को समझे ,और समझ भी
ले तो कर क्या सकती है अगर कुछ करे भी तो दिखाना-बताना तो इन्होने ही है। न्यूज चैनल के नाम पर विज्ञापन चैनल चलाना क्या ऐरे-गैरों के बस की बात है। चार घंटे भी समाचार दिखा देते हैं तो अहसान समझो । इनकी आपसी एकता ऐसी कि किसी की भी गलती को ये अपने चैनल पर नहीं दिखाते । इनकी नैतिकता का ही तकाजा है कि कभी-कभी ये पर्यावरण के लिए ,देशभक्ति के लिए ,बाढ़ के लिए सहायता को अपने चैनल का सदुपयोग भी कर लेते हैं अब ये अलग बात है कि उसके लिए भी पैसा जनता कि जेब से ही निकाला जाता है। बिजनेस कि कुछ मज़बूरी इनकी भी है । वरना इनकी आत्मा भी इन्हें धिक्कारती तो होगी ही । पर कितनीं मजबूरियां हैं कौन बताए । अब देखो न पिछले कई सालों से बाबा रामदेव पूरे संसार में प्राणायाम से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को स्वस्थ बना रहे हैं आज भारत को बाबा रामदेव जैसे नेतृत्व की जरुरत है (नेता केवल राजनीती में ही नहीं होते) इनके चैनलों पर वह एकाध मिनट से ज्यादा नहीं दीखते। भारत का कोई बाबा पूरे विश्व में योग और प्राणायाम की धूम मचा रहा हो अभी तक हजारों रोगियों को निरोगी बना चुका हो पर इनकी खुली नजरों से दूर हो आख़िर कारण क्या है कारण ये है कि इनके चैनलों की जो टी आर पी रेटिंग
अपने अधिकारों के प्रति इसी तरह की जागरूकता दिखानी चाहिए।
इनके कर्तव्यों के प्रति कोई और क्यों पूछे या कहे; ये अपने आप सोचेंगे।
चैनल इनके, अधिकार इनके, तो कर्तव्य (या करतब) भी इनके, किसी सरकार या
नेता की हिम्मत कैसे हो इनसे कुछ कहने की।
इनको हथियारों का प्रयोग सिखाया ही ऐसा है कि ये भाई बहन को लड़वा दे( संजयदत्त)।
खुलेआम इधर की उधर लगाने में इन्हें महारत हासिल है , इसी हथियार से
ये पार्टियों और नेताओं का बंटाधार करवा देते हैं । जिस तरह पैसा सबसे ज्यादा
कमाने वाला ही सबसे सफल माना जाता है वही मज़बूरी इनकी भी है नंबर एक बनने
के लिए इन्हें जिस हद तक जाना पड़े ये जाते हैं अब ये इनकी कुशलता ही है कि ये अपनी
कमियां छुपा लेते हैं , इन्हें बिजनेस भी तो देखना है जिन ख़बरों से विज्ञापन ज्यादा मिलें
उन्हें दिनभर दिखाना ही पड़ता है इसमें "नैतिकता क्या देखनी"जनता का भरोसा तो है ही।
वैसे भी कौन सी जनता इतनी समझदार है कि इनकी चालाकियों को समझे ,और समझ भी
ले तो कर क्या सकती है अगर कुछ करे भी तो दिखाना-बताना तो इन्होने ही है। न्यूज चैनल के नाम पर विज्ञापन चैनल चलाना क्या ऐरे-गैरों के बस की बात है। चार घंटे भी समाचार दिखा देते हैं तो अहसान समझो । इनकी आपसी एकता ऐसी कि किसी की भी गलती को ये अपने चैनल पर नहीं दिखाते । इनकी नैतिकता का ही तकाजा है कि कभी-कभी ये पर्यावरण के लिए ,देशभक्ति के लिए ,बाढ़ के लिए सहायता को अपने चैनल का सदुपयोग भी कर लेते हैं अब ये अलग बात है कि उसके लिए भी पैसा जनता कि जेब से ही निकाला जाता है। बिजनेस कि कुछ मज़बूरी इनकी भी है । वरना इनकी आत्मा भी इन्हें धिक्कारती तो होगी ही । पर कितनीं मजबूरियां हैं कौन बताए । अब देखो न पिछले कई सालों से बाबा रामदेव पूरे संसार में प्राणायाम से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को स्वस्थ बना रहे हैं आज भारत को बाबा रामदेव जैसे नेतृत्व की जरुरत है (नेता केवल राजनीती में ही नहीं होते) इनके चैनलों पर वह एकाध मिनट से ज्यादा नहीं दीखते। भारत का कोई बाबा पूरे विश्व में योग और प्राणायाम की धूम मचा रहा हो अभी तक हजारों रोगियों को निरोगी बना चुका हो पर इनकी खुली नजरों से दूर हो आख़िर कारण क्या है कारण ये है कि इनके चैनलों की जो टी आर पी रेटिंग
की जाती है वह विज्ञापनों की संख्या पर आधारित होती है जिसके पास ज्यादा एड वह उतना बड़ा चैनल (नाम के न्यूज चैनल, नंबर मिलते हैं विज्ञापन के ) विज्ञापन ज्यादातर मल्टीनेशनल कम्पनियों के होते हैं और बाबा रामदेव इन विदेशी कम्पनियों के बहिस्कार की बात जितने जोरदार तरीके से करते हैं उससे इन कम्पनियों के करता-धर्ताओं का खून वैसे ही सूख जाता है तो बाबा रामदेव को ये चैनल कैसे दिखाएँ इनकी रोटी(विज्ञापन)बंद न हो जाए ये कम्पनियां विज्ञापन देना बंद कर देंगी । ये इनकी शायद मज़बूरी ही है । वरना आजकल बाबा रामदेव जितना बड़ा यज्ञ देशभक्ति का कर रहे हैं लगता है भारत का नया दौर आने वाला है पर इन न्यूज चैनलों को वह तब दिखाई देगा जब उसकी ख़बर से इनकी कमाई होने की उम्मीद होगी ।
सोचने पर विवश तो करते हो | पर सब समझ पाते होंगे कैसे पता लगे
ReplyDeleteक्योंकि सभी टिप्पणी नहीं लिखते |