“सन २००८” …..….........(भारत में);
“भ्रष्ठाचार” कल्पना से भी ज्यादा;
“सम्प्रदायवाद” कल्पना से भी…...;
“जातिवाद” कल्पना से ……….…… ;
“पार्टी-प्रांतवाद” कल्पना…………;
और
“आतंकवाद” तो “सबसे ज्यादा”
फ़िर भी,
भारत “बुलान्दियौं”(चाँद) को छू
रहा है
“आख़िर कुछ तो बात है”
“किसी की नजर न लगे”
या खुदा इन “बुरी नज़र "(पाक) वालों की
“नजरें फोड़ दे”
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