हाले मुल्क, क्या बयां करें दोस्तो,
बस ये समझ लो,
मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की।
असर, दवा का ख़त्म हो गया ,
बस ये समझ लो,
दवा भी दर्द का,सबब बन गई ।
अब तो हालात ऐसे नाजुक हैं दोस्तो,
बस ये समझ लो,
नशे की सूईयाँ हमारी जरुरत बन गई।
सय्याद फांसता है ज्यों, बुलबुले सैलाब को,
बस ये समझ लो,
हमारे हुक्मरानों की नीयत बन गई।
हाले मुल्क क्या बयां करें दोस्तो,
बस ये समझ लो,
मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की।
हाले मुल्क क्या बयां करें दोस्तो,
ReplyDeleteबस ये समझ लो,
मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की।
-बिल्कुल सही कहा!!
बिल्कुल सही!!! भइये !!!
ReplyDeleteप्राइमरी का मास्टरफतेहपुर