पहाड़ के जंगल इस समय आग से
धू-धू कर जल रहे हैं ,
जबकि आग बुझाने के नाम पर
करोड़ों रुपये का बजट बनाकर
खर्चा दिखाया जाता है।
भ्रष्टाचार के कारण यह करोड़ों रूपया आग बुझाने के नहीं
आग लगाने का कारण बन रहा है। क्योंकि आग नहीं लगेगी तो रूपया खर्च कहाँ दिखायेंगे।
अगर आग लगने पर जुर्माना (सम्बंधित ग्राम-सभा व वनाधिकारियों पर)
लगाया जाए तो शायद आग लगनी बंद हो सकती है।
मतलब ,अभी तो आग लगने पर उन्हें इनाम मिल रहा है। तभी आग लगने की घटनाएँ
बढती जा रहीं हैं।
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