“सावधान… देशवासियो एक ग़लत वोट पूरे राष्ट्र को अपाहिज बना देता है”।
यह प्रचार एक पार्टी अपने कैसेट चला कर कर रही है।
काश , ये बात जब लोकतंत्र लागू किया था तब समझाई होती , तो आज देश का ये हाल नहीं
होता । आज जो पार्टी यह प्रचार कर रही है, शुरू से स्वयं केवल ग़लत वोटों के कारण
इस देश पर ज्यादा समय तक राज कर गई है। आजकी ज्यादातर समस्याएं उसके तत्कालीन नेताओं
की अदूर्दशिता का ही फल हैं । नक्सलवाद ,जातिवाद,किसी भी धर्म की कट्टरवादिता, आतंकवाद
क्षेत्रवाद,भ्रष्टाचार,नैतिक-हीनता , सबकी जड़ में उन नेताओं की अदूरदर्शी सोच व अंग्रेज
मानसिकता ही है।
ग़लत वोट
जब तक इस देश में गरीबी,भूख , बेरोजगारी रहेगी, बिना पूंछ और मूंछ के शेर(नेताओं के चमचे व अंधभक्त)
रहेंगे तब तक ग़लत वोट पड़ता रहेगा।
क्योंकि
पॉँच सौ रुपये में एक गरीब परिवार का महीने भर का राशन आ जाता है।
सौ-डेढ़ सौ रुपये में कोई बेरोजगार इन पार्टियों का कार्यकर्त्ता या वोटर बन जाता।
शराबी तो केवल एक पौउवे में अपने वोट का सौदा कर लेते हैं ।
वरना क्या जरुरत है ?
इन राष्ट्रीय पार्टियों को अपने प्रचार में करोड़ों रुपये बहने की ।
क्या देश की जनता को नहीं पता कि इनका चुनाव-चिन्ह क्या है,या इनकी पार्टी की क्या नीति है।
चुनाव आयोग भी केवल धोखेबाज की भूमिका निभाता है।
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