(फिर भी मेरा देश तरक्की कर रहा है ; न जाने क्यों ? नेताओं – नौकरों को लाखों मिलते हैं और गरीब भूखों मरता है ; न जाने क्यों ?)
कुछ लोगों में भारत-भारतीयता, के प्रति हीन ग्रंथि है ; न जाने क्यों ?
कुछ लोग सकारात्मक या सीधा, सोच ही नहीं पाते ; न जाने क्यों ?
कुछ को हमारे इतिहास और सभ्यता-संस्कृति में केवल बुरा ही बुरा दीखता है ; न जाने क्यों ?
कुछ लोगों को निर्दोषों के हत्यारों के प्रति भी सहानुभूति होती है ; न जाने क्यों ?
कुछ लोगों को अपराधियों से मुठभेड़ों पर शक होता ; न जाने क्यों ?
सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल करने की जरुरत पड़ती है, जैसे गुलाम हों ; न जाने क्यों ?
धन्य हैं वो लोग जो चुप बैठे हैं पिछले साठ वर्षों से ; न जाने क्यों ?
धर्म के नाम पर अन्धविश्वास बढ़ता रहा ; न जाने क्यों ?
गुरु घंटालों को भगवान बना कर पूजने लगे ; न जाने क्यों ?
स्वतंत्रता के नाम पर धोखा हुआ कोई न जगा ; न जाने क्यों ?
लोकतंत्र के नाम पर लुटते रही जनता ; न जाने क्यों ?
देश भक्ति के चोले में गद्दारी होती रही ; न जाने क्यों ?
शिक्षित होने के भ्रम में मूर्ख बनते रहे ; न जाने क्यों ?
महलों में सरकार सोती है गोदामों में अनाज सड़ता है ; न जाने क्यों ?
सांसदों नेताओं को कैंटीन में दस रुपये में भोजन मिलता है ; न जाने क्यों ?
नेताओं – नौकरों को लाखों मिलते हैं और गरीब भूखों मरता है ; न जाने क्यों ?
फिर भी मेरा देश तरक्की कर रहा है ; न जाने क्यों ?
.............................................................................. न जाने क्यों ?
...............................................................................न जाने क्यों ?
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