ताजा प्रविष्ठियां
Wednesday, December 16, 2009
छोटे राज्य चाहने वालो...छोटे राज्य के फायदे जान लो
छोटे राज्यों के फायदेऔर कहीं दिखें न दिखें उत्तराखंड में तो जब मर्जी देख लो। नंबर एक- क्षेत्रीय शक्तियां एकदम कमजोर हो जाती हैं थोड़ा-बहुत जो हो भी तो उसे राष्ट्रीय पार्टियाँ अपने साथ जोड़ लेती हैं। नंबर दो-राष्ट्रीय पार्टियाँ अपने ज्यादा से ज्यादा छुट भईये नेताओं को लाल बत्तियां देकर खुश कर लेती हैं। तीन- अपने कार्यकर्त्ता को मनमाने ठेके देने में आजादी हो जाती है। चार- गांवों में मकान हों न हों खडंजे,स्कूल,पुलिया,दीवारें,पंचायत भवन,व अन्य बनाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को दे सकते हैं। पांच- जनता को खुश करने के लिए उसे पेंशने और आर्थिक सहायता मनमाने तरीके से बाँट सकते है। छह-जो अपने मुख्य कार्यकर्त्ता और उनके रिश्तेदार हैं उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोस से मोटी सहायता दे सकते हैं। सात-प्रदेश की जनता को गरीबी रेखा से नीचे के राशन कार्डों के बाँटने में कोई रूकावट नहीं होती क्योंकि विपक्षी भी बहते पानी अपने हाथ धो लेते हैं। इतने फायदे तो हम उत्तराखंड के लोगों को नजर आ रहे हैं।झारखण्ड तो और भी बहुत से फायदे उठा रहा है,हमारे यहाँ इतना पैसा नहीं है हमारी सरकार तो सब खर्च कर चुकी है अब खली हाथ है। यहाँ ये हाल है कि न किसी की सुनो न किसी से कहो। अपनी कमियों का दोष केन्द्र पर मढ़ दो। इन फायदों के मद्देनजर छोटे राज्यों के लिए जब आगजनी-तोड़फोड़ करोगे जेल जाओगे तभी तुम राज्य मिलने के बाद राज्य आन्दोलन कारी कहलाओगे। शान्ति पूर्वक आन्दोलन करने वाले किसी गिनती में नहीं होंगे। सरकारी नौकरियों में या मासिक पेंशन पाने के हक़दार केवल जेल जाने वाले आन्दोलनकारी ही होंगे इस बात का ध्यान रखना। जिन्होंने लाभ लेना है येनकेन प्रकारेण जेल जरुर जाना।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सच में स्थिति दयनीय है मैंने भी उत्तराखंड में ओब्जर्ब किया है !
ReplyDeleteसही लिखा है..
ReplyDelete