खारी बावली पार किया चौराहे पर पहुँच कर एक जलेबी वाला अच्छी जलेबी बनाता था उससे जलेबी खाने के बाद हाथ धोने और पानी पीने के लिए एक प्याऊ पर जाकर झुके ही थे कि, पीछे से भगदड़ और आवाजें सुनकर मुड़कर देखा तो सभी भाग रहे हैं एक भागते हुए रिक्शे वाले से पूछा तो उसने बताया कि गैस लीक हो गई है, बचना है तो भागो तब तक आसमान में गैस का बादल हमें भी नजर आ गया।
मेरा दोस्त (योगेश) बोला, कि अब मरे, क्या करें हँसी भी आ रही थी क्योंकि जो जैसे था वैसे ही भाग रहा था अपनी दुकान छोड़ कर, गाड़ी छोड़ कर, क्योंकि भीड़ के कारण गाड़ी नहीं चल पाती, तो जनाब हम प्याऊ पर खड़े एक मिनट में ये सब नजारा देख चुके थे,कई विचार हमारे मन में आ रहे थे लेकिन घबराहट नहीं थी उलटे मजाक सूझ रहा था, कि अपना आई कार्ड ऊपर की जेब में रखलो, अगर मर गए तो जल्दी पहचान हो जाएगी या कुछ प्राण रहते अगर परिवार वालों को ख़बर लग गई तो जल्दी उपचार मिलेगा। और भी कई बातें दिमाग में घुमड़ रहीं थीं।
मैंने कहा कि अपना-अपना रुमाल भिगो कर मुहं पर बाँध लेते है गैस कम असर करेगी वैसा ही किया और हम भी दौड़ने लगे, स्वामी श्रद्धानंद मार्ग (जी.बी.रोड) की तरफ़ लाहौरी गेट से पहले ही साँस फूल गया तो योगेश ने कहा कि ऐसे तो गैस ज्यादा अन्दर जाएगी, दौड़ते नहीं तेज चलते हैं और गलियों के अन्दर से चलते हैं क्योंकि ऊँचे मकानों के कारण गलियों में गैस कम घुसेगी, लेकिन गलियों में मशाले की दुकानों के कारण हमें खांसी होने लगी हम फ़िर बाहर मुख्य रास्ते पर आ गए तेज चलते -चलते अजमेरी गेट के पास पहुँचने वाले थे कि पुलिस की जिप्सी गस्त के साथ ही anaunsment करते सुनाई दी कि आप घबराएँ नहीं ये गैस जहरीली नहीं है बस हलकी आंखों में जलन और गले में खरास होगी और कुछ नही होगा ज्यादा से ज्यादा आँखें लाल होंगी तब कहीं लोगों की जान में जान आई। फ़िर हम उस दिन कनौट प्लेस में पूरा दिन घुमे पालिका बाजार घुमे
शाम को घर पहुँच कर जब समाचार सुने तो पता लगा कि नजफ़ गढ़ रोड पर श्रीराम होंडा कि फैक्ट्री से गैस रिसाव हुआ था और बड़ी भगदड़ हुयी थी। घर वालों को भी फ़िर हमने बता दिया कि आज हम भी इस गैस कांड में फंस गए थे। ये याद आज भी आती है तो सोचता हूँ अगर वह गैस भोपाल की तरह नुकसानदायक होती तो क्या होता ..... ?
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
ReplyDeleteमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!