सब कुछ सहता
कुछ न कहता आम आदमी।
आभावों से त्रस्त;
दुखों से ग्रस्त,
आम आदमी ।
दाल-रोटी में व्यस्त;
टी.वी. देखने में मस्त,
आम आदमी।
“वर्गों” में बंटा;
वोटों में घटा,
आम आदमी।
“सबका” बोझा ढोता;
सबके लिए चिंतित होता,
आम आदमी।
“किसी” को "कुछ" हो जाए,तो;
“सबके” लिए रोता,
आम आदमी ।
ये आम आदमी भी आम की ही तरह होता है , जैसे आम को कई तरह से जैसे चटनी बना कर , मुरब्बा बनाकर , आम की लस्सी बना कर , अचार बना कर या फ़िर वैसे ही चूस कर उपभोग किया जाता है ठीक वैसे ही आम आदमी का भी तरह तरह से समाज के खास आदमी उपभोग करते हैं .आम आदमी का काम है आम कि तरह उपयोगी होना और खास आदमी का काम है आमआदमी का आम कि तरह उपभोग करना आम आदमी पट्रोल महंगा होने से चाहे बस में सफर करे खास आदमी को कार भी और पेट्रोल भी सरकार देती है , इनकी जेब से कुछ नहीं जाता . मुद्रास्फीति से चाहे आम आदमी का चूल्हा जले ना जले ,खास आदमी की पार्टिया बरक़रार हैं , वो भी फ्री में .
ReplyDeleteआम आदमी टैक्स देता है , देता रहता है .
ख़ुद फाके करता है ,लेकिन खास आदमी के ऐशो आराम में कमी नहीं होने देता .अब बताओ कि आम आदमी गधा है कि नहीं ? सारी दुनिया में सदियो से यही हो रहा है , आमआदमी आम की तरह चूसा जा रहा है खास आदमी के द्वारा !
जी हाँ! कुछ ऐसा ही तो है आम आदमी
ReplyDeleteजो
आम के मौसम मे भी
आम नहीं खा पाता है
न जाने क्यों वही
आम आदमी कहलाता है