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Tuesday, November 17, 2009

उत्तराखंड आन्दोलन कारियों की नियति

किसी भी आन्दोलन के विषय में ये बात कही जा सकती है कि, आन्दोलन ज्यादा लंबा चलने पर,फ़िर सफल होने पर, जो लाभ मिलता है वह वास्तविक आन्दोलन कारियों को नहीं मिलता।
उत्तराखंड वाले इसे दूसरी बार अनुभव कर रहे हैं,पहली बार तो सभी देशवासियों के साथ देखा कि भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में बहुत से ऐसे लोग जो अंग्रेजों के भक्त थे लेकिन आजाद होने के बाद एक विशेष पार्टी के सदस्य होने के कारण बहुत से विशेष लाभ और राजनीतिक पदों पर सिरमौर बन बैठे।
दूसरी बार उत्तराखंड आन्दोलन में देख रहे हैं।

जिन लोगों ने लंबे समय से लडाई लड़ी वह आज हाशिये पर कर दिए जा रहे हैं। उनकी किशोरावस्था, जवानी और ताकत, तीस साल का लंबा, समय इस आन्दोलन के लिए लग गया; लोग हँसी उड़ाते थे कि तुम रोज नारे ही लगाते रहोगे पर होने वाला कुछ नहीं है, कहते रहो "आज दो - अभी दो उत्तराखंड राज्य दो" कोई नहीं देने वाला। ये इन बड़ी पार्टियों के लोग बोला करते थे, आम लोग भी खिचाई करने से नहीं चूकते थे, ख़ुद क्रांतिकारी भी आपस में बातें करते थे कि, कभी बनेगा ये उत्तराखंड कभी लगेगा इन लोगों के मुंह पर "झोल" (काला)।
जिन राष्ट्रीय पार्टियों के नेता और कार्यकर्त्ता उन दिनों आन्दोलान्कारियों की हँसी उड़ाया करते थे और आन्दोलन कर्ता सोचा करते थे कि कब लगेगा इनके मुह पर झोल, जब वह समय आया तो बड़ी चालाकी से दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने आन्दोलन अपने हाथों में लेकर, मुंह पर लगे झोल को मिटाने का प्रबंध भी कर लिया। कई आन्दोलन कारियों को अपनी पार्टियों में शामिल कर लिया, कईयों को पद (अपनी सरकारों में) दे कर चुप कर दिया।
हम आन्दोलन कारियों की मांग है कि जो दल उत्तराखंड के आन्दोलन में लगा था उ.क्रा .द. उसके शुरू से जो भी लोग दिल्ली, मुम्बई और अन्य महानगरों वाले भी, इस आन्दोलन में लगे थे उन्हें आन्दोलनकारी माना जाए, पैसा और पद बेशक ये अपने लोगों को बांटें पर उन्हें कमसेकम प्रशस्ति पत्र तो दिया जाए।

1 comment:

  1. भारत वर्ष में यह कहावत कि करे कोई और भरे कोई, अधिकांश सच्चाई के बहुत करीब होता हैं ,श्रेय लेने वाले बेशर्म की तरह सामने आकर हर आन्दोलन की चरम उद्देश्य को नाकाम कर देता हैं फिर भी आन्दोलनकारी आपनी कर्त्तव्य को हमेशा निभाते हैं ,प्रशश्ति पत्र से क्या मिल जायेगा ?
    मांगने का नाम भीख होता हैं , देश के गद्दारों से जोरदार लोहा लेने का समय आ चुका हैं ---
    कमर कसना जरुरी हैं ... मेरी शुभकामना आपलोगों के साथ हैं .

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