पी .एम. की सुरक्षा के कारण एक व्यक्ति की जान गई।
क्या हुआ जो एक व्यक्ति की जान गई, अपने पी.एम. के लिए दी- कोई विदेशियों के लिए तो नहीं दी। जब विदेशियों का राज था तो और बात थी अब तो अपनों का अपनों के लिए अपनों के द्वारा चल रहा राज है जैसा हम (हमारे पूर्वजों ने ) ने बोया था वही हम काटेंगे । हम स्वतन्त्र हुए ही किसलिए थे विदेशियों के लिए मरने में मजा नही आता था गुलामी का अहसास होता था, इसीलिए तो आजाद होने को क्रांति की थीअब अपनों के लिए मरने में गर्व होता है साथ ही कुछ धन भी मिल जाता है। कितने उदार नेता हैं हमारे उन्होंने देश में इस तरहकी दुर्घटनाओं में मरने वालों के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था की हुयी है ।
वाह !
ReplyDeleteआपने तो जूता हाथ में भी नहीं लिया और मार भी डाला.......... अच्छा मारा...........मज़ा आया..........