समझ नहीं आता क्यों और किसको दूँ वोट
कांग्रेस का हाल देखना है तो दिल्ली का हाल देख लो,
मीडिया कितना ही अच्छा बताये पर आनंद विहार बस
अड्डे पर ही गंदगी को देख कर लगता है दिल्ली में सरकार
नाम की चीज नहीं है।बस अड्डे से बाहर भी यही हाल है,
लोग कैसे अपना वोट वापस लें,पता नहीं।
अब भाजपा का हाल देखना हो तो उत्तराखंड के बुरे हाल देख
कर मन नहीं करता की इन्हें वोट दूँ।
ये तो देश की दो मुख्य पार्टियों की बात हो गई,
बाकी तो थाली के बैंगन की तरह हैं।
थूक-थूक कर चाटते हुए, वो भी बेशर्मी से, इन थाली के बैंगनों
को देखा है।
मैं तो हमेशा वोट देता हूँ , पर मेरा वोट बर्बाद करते हैं वो, जो,
जाति के लिए वोट देते हैं , जो पैसे लेकर-शराब पी कर वोट देते हैं।
असल में इस देश में भूखे-नंगों से ज्यादा हराम की खाने वाले हैं।
जो नेताओं और पार्टियों की जयकार बोलने की एवज में दलाली करते हैं।
देश की- जनता की किसे पड़ी है,भूखे-नंगे तो चलो पेट भरने के लिए
पैसे लेकर वोट देते हैं
पर क्या कहें उनको, जो जाति के नाम पर वोट देंगे,
इनके नेता इनको थोक में नौकरी देंगे।
कोई योग्य हो या न हो।
मेरा वोट तो बर्बाद ये करेंगे एक विचारधारा की सरकार नहीं बनने देंगे
इनके थूकचट्टे नेता तब अपना थूका हुआ चाट कर बड़ी पार्टियों से सौदा कर लेंगे।
कांग्रेस को वोट नहीं जूते मिल रहे हैं आजकल
ReplyDeleteशंकर जी आपकी पीडा और लाचारी केवल आपकी ही नहीं. सारे देश की जनता इसी मन:स्थिति से गुजर रही है. आपके लिए एक सुझाव है-
ReplyDeleteआने वाले चुनावों में वोट जरूर डालें. यदि आप को लगता है कि कोई भी उम्मीदवार आपकी आशाओं को पूर्ण करने में सक्षम नहीं है तो कृपया सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद पीठासीन अधिकारी को अपनी मंशा से अवगत करा दें तथा इस आशय हेतु अपना नाम दर्ज करा दें. २००९ के आम चुनाव हेतु निर्वाचन आयोग ने सभी निर्वाचन अधिकारियों तथा पीठासीन अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि वे औपचारिकतायें पूरी करने के बाद मतदान से इनकार करने वाले वोटरों की सूची बनायें तथा आयोग को भेजें ताकि उनका उपयोग "नकारात्मक मतदान के अधिकार" हेतु सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के पक्ष में किया जा सके. इस याचिका की सुनवाई आम चुनावों के बाद होनी है.
यदि आपको पार्टियां पसंद नहीं तो चुनाव में निष्पक्ष उम्मीदवार भी होते हैं। यदि वह भी आपको नहीं भाए, तो खुद ही खड़े हो जाइये ना! आप तो अच्छे व्यक्ति हैं!
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