वाह रे ! "कांग्रेसी संस्कारवान" बड़े-नेताओ,छोटे-नेताओ,कार्यकर्ताओ,पार्टी-शुभचिंतको,बुद्धिजीवियो,राजमाताओ, युवराजाओ,और भी जो जो हो; वो | मान गए तुम को और तुम्हारी “पार्टी निष्ठा” को | वैसे तो हम पिछले पच्चीस सालों से मान रहे हैं तुम्हारे "जीवट" को;(उससे पहले हम बच्चे थे)| अब तो; जो नहीं भी मानते थे उन्हें भी मानना पड़ेगा |
कोई और होता तो मारे शर्म के.....|
किस मिट्टी के बने हो ? तुमने तो बेशर्मी और नीचता की नयी हद ही गढ़ दी | अभी भी कोई हद नजर नहीं आ रही |
तुम्हारे कई-कई मंत्री भ्रष्टाचार के कारण जेल में ! रोज-रोज आपस में होड़ लगाते घोटाले ! सर्वोच्च न्यायालय की लताड़ें ! क्या-क्या बताएं ? पहले भी तुम्हारे नेताओं द्वारा विश्वप्रसिद्ध तंदूर कांड जैसे न जाने कितने कांड हुए हैं ....., तुम्हारे नेताओं के कारण देश के कई टुकड़े हो गए,कश्मीर और अन्य राज्यों की समस्या,आतंकवाद,नक्सलवाद,माओवाद,जातिवाद,सम्प्रदायवाद,भ्रष्टाचार,पार्टीवाद सब तुम्हारे नेताओं के कारण पनपा | आज देश के हालात देख कर सबको रोना आता है | इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय स्वयं संज्ञान लेकर तुम्हारी सरकार को कई-कई बार लताड़ लगा चुका है | पर मजाल है ! जो तुम्हें थोड़ी सी भी शर्म आ जाती |
अरे ! किसी को तो शर्म होती; सब एक ही मिट्टी के बने हो ? "किसने दी थी ऐसी मिट्टी;जिसमे शर्म नाम की चीज नहीं होती" |
मान गए बेशर्मो ! मान गए; बिना गोली-बारूद के लूटने का जो तरीका (लूटतंत्र) तुमने विकसित किया है उसकी भी दाद देनी पड़ेगी | थोड़ी सी हींग-फिटकिरी लगाओ और लाखों करोड़ कमाओ | जमा करने के लिए विदेशी बैंकों में जाओ उनसे भी पीठ थपथपवाओ | तुर्रा ये भारतीयों को उससे भी बहलाओ |
चाहे हो हाई कमान (राजमाता और युवराज), चाहे हों गुलाम (सभी पुछल्ले नेता),यहाँ तक कि तुम्हारे छोटे से छोटे स्तर का कार्यकर्त्ता कोई भी; मजाल है जो थोड़ा सा भी शर्म कर जाएँ | जाने किस (?)मिटटी के बने हैं इतने बड़े-बड़े शर्मनाक मामलों (घोटालों के बावजूद)में भी सीना तान के दूसरों को गरियाते फिरते है | न केवल सीना ताने हैं अपितु अभी भी ताल ठोक रहे हैं |
कुछ शर्म करो आदमी के बच्चो | राक्षसों के गुण न अपनाओ | इतिहास क्या लिखेगा तुम्हारी भूमिका पर; ये तो सोचो | क्या देश के गद्दारों के रूप में पहचाना जाना चाहते हो ?
सही आकलन किया है आपने।
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