भी चल रहा है वैसे शारदा पीठ पर भी इनका “कब्ज़ा” है |
बस शारीर से जरा भारी (+- 200kg) हो गए | उसके लिए इनका कोई दोष नहीं है ; वो तो इनकी जीभ जरा चटोरी है | खाते समय तो स्वाद ले ले कर खा लेती है;फिर आलस्य के कारण पसर जाते हैं, वो भी “स्वर्ण शैया”पर; उठने का मन ही नहीं करता | शारीर का वजन बढ़ता जाता है |
अब; ये मुझे पता नहीं कि चिलमची हैं या नहीं, खीर खाऊ तो हैं; ये इनके शारीर से पता लगता है |मुझे जानकारी मिली है;इंदिरा गाँधी के समय “डालडा घी” का विरोध गाय की चर्बी को मिलाने के कारण हुआ था; तब पूरा देश विरोध में था लेकिन; ये धर्म गुरु इंदिरा और डालडा के समर्थन में थे | कहते हैं इंदिरा गाँधी अकसर “आशीर्वाद” लेने इनके पास जाती थीं | और इनके आगे "नत मस्तक" रहती थीं | इसीसे ये आज तक उसका शिष्टाचार भूले नहीं हैं |
अभी कुछ दिन पहले सोनिया बनारस गयी गाजीपुर में, तो इनके पास भी गयी थी “मत्था टेकने ”|
जैसे “दैत्यों के गुरु” शुक्राचार्य थे; वैसे ही इनका "आभामंडल" बन
मौजूदा सभी कथित शंकराचार्य लगभग 19-20 ही हैं।
ReplyDeleteहमारे मन में तो इन पंडावादी शंकराचार्यों लिए कोई आदर भाव नहीं है|
ReplyDeleteऔर तो और जब तब बाबा रामदेव को भी गरियाता फिरता है| यह कांग्रेस के द्वारा बिठाया गया टट्टू है| केवल हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए ही इसे यह काम सौंपा गया है|
ReplyDeleteस्वरूपानन्द के बारे मे आपकी बात सही है। इन्होने श्री राम जन्म भूमि के मामले मे भी हिन्दू प्रजा के साथ धोखा किया था और उसके विरोध मे कॉंग्रेस की गोद मे बैठे रहे।
ReplyDeleteलेकिन यह बात सभी शंकराचार्यों पर लागू नाही होती है। जैसे कि यहाँ एक दो पाठको ने सामान्यीकरण करके सभी शंकराचार्यों के बारे मे कहा है।
हमारे बाकी के सभी शंकराचार्य समस्त हिन्दू प्रजा के लिए पूजनीय हैं और दुर्भाग्य से शंकराचार्य की परंपरा कमजोर पड़ने के कारण ही हिन्दू धर्म मे विकृतियाँ आई हैं। और इसके दोषी स्वरूपानन्द जैसे कोंग्रेसी एजेंटो के अलावा, दगाबाज हिन्दू सेकुलर भी हैं।
इस तथाकथित शंकराचार्यों की गलती नहीं है - असल में हिन्दू ही अक्कल के अंधे हैं जो कभी इनके जैसे पाखंडियों - राजपोषित - सरकारी चमचों से उनके कार्यकलापों और दिए हुए पैसों का हिसाब नहीं लेते हैं |
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