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Friday, July 8, 2011

आप जानते हैं हमारे एक शंकराचार्य के बारे में

हमारे धर्म के एक माने (थोपे) हुए गुरु हैं स्वरूपानन्द सरस्वती | भगवान आदि शंकराचार्य के द्वारा धर्म-संस्कार, संस्कृति-देश की रक्षा के लिए बनाये गए चार धामों में से “पता नहीं किस धाम केपीठाधिश्वर हैं क्योंकि इनका बद्रिकाश्रम पीठ के लिए पिछले कई वर्षों से “झगड़ा” (मुकदमा लगभग 35-40 वर्ष से)

भी चल रहा है वैसे शारदा पीठ पर भी इनका “कब्ज़ा” है | अपने को "बहुत बड़ा"ज्ञानी और योगी समझते हैं |

बस शारीर से जरा भारी (+- 200kg) हो गए | उसके लिए इनका कोई दोष नहीं है ; वो तो इनकी जीभ जरा चटोरी है | खाते समय तो स्वाद ले ले कर खा लेती है;फिर आलस्य के कारण पसर जाते हैं, वो भी “स्वर्ण शैया”पर; उठने का मन ही नहीं करता | शारीर का वजन बढ़ता जाता है |

अब; ये मुझे पता नहीं कि चिलमची हैं या नहीं, खीर खाऊ तो हैं; ये इनके शारीर से पता लगता है |

मुझे जानकारी मिली है;इंदिरा गाँधी के समय “डालडा घी” का विरोध गाय की चर्बी को मिलाने के कारण हुआ था; तब पूरा देश विरोध में था लेकिन; ये धर्म गुरु इंदिरा और डालडा के समर्थन में थे | कहते हैं इंदिरा गाँधी अकसर “आशीर्वाद” लेने इनके पास जाती थीं | और इनके आगे "नत मस्तक" रहती थीं | इसीसे ये आज तक उसका शिष्टाचार भूले नहीं हैं |

अभी कुछ दिन पहले सोनिया बनारस गयी गाजीपुर में, तो इनके पास भी गयी थी “मत्था टेकने ”|

जैसे “दैत्यों के गुरु” शुक्राचार्य थे; वैसे ही इनका "आभामंडल" बन गया है | “विशाल शारीर”, “विकृत विचार”, “ अव्यावहारिक ज्ञान और व्यावहारिक अज्ञान”(दोनों में निपुण) , “स्वर्ण शैया-रजत सिंहासन”(सुना है 300kgका) , दैत्यों-असुरों को संरक्षण और उनके हित में सबसे बुराई मोल लेकर विषपान करके और विषैले होते जाते हैं | ऐसे हैं ! हमारे जगद्गुरु…. . शंकराचार्य ?

5 comments:

  1. मौजूदा सभी कथित शंकराचार्य लगभग 19-20 ही हैं।

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  2. हमारे मन में तो इन पंडावादी शंकराचार्यों लिए कोई आदर भाव नहीं है|

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  3. और तो और जब तब बाबा रामदेव को भी गरियाता फिरता है| यह कांग्रेस के द्वारा बिठाया गया टट्टू है| केवल हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए ही इसे यह काम सौंपा गया है|

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  4. स्वरूपानन्द के बारे मे आपकी बात सही है। इन्होने श्री राम जन्म भूमि के मामले मे भी हिन्दू प्रजा के साथ धोखा किया था और उसके विरोध मे कॉंग्रेस की गोद मे बैठे रहे।
    लेकिन यह बात सभी शंकराचार्यों पर लागू नाही होती है। जैसे कि यहाँ एक दो पाठको ने सामान्यीकरण करके सभी शंकराचार्यों के बारे मे कहा है।
    हमारे बाकी के सभी शंकराचार्य समस्त हिन्दू प्रजा के लिए पूजनीय हैं और दुर्भाग्य से शंकराचार्य की परंपरा कमजोर पड़ने के कारण ही हिन्दू धर्म मे विकृतियाँ आई हैं। और इसके दोषी स्वरूपानन्द जैसे कोंग्रेसी एजेंटो के अलावा, दगाबाज हिन्दू सेकुलर भी हैं।

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  5. इस तथाकथित शंकराचार्यों की गलती नहीं है - असल में हिन्दू ही अक्कल के अंधे हैं जो कभी इनके जैसे पाखंडियों - राजपोषित - सरकारी चमचों से उनके कार्यकलापों और दिए हुए पैसों का हिसाब नहीं लेते हैं |

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