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Tuesday, September 7, 2010
इन हालातों में....
कोई भी राजनितिक दल देश को इन हालातों से उबारने में सक्षम नहीं दीखता, जिस तरह रेगिस्तान में मरीचिका के धोखे में कोई भी प्राणी भटकता रहता है वही हाल आज के भारतीय का है | चाहे वह किसी भी पार्टी को समर्थन करता हो, उसे पता होता है कि; इस पार्टी वाले भी कुछ नहीं कर सकते फिर भी वह उनके द्वारा बनायीं मरीचिका में फंसता है और अपनी हैसियत के अनुसार लालच में उलझ कर उन्हें ही वोट दे देता है | चाहे भूखे नंगे हों या आवश्यकता से अधिक का भोग करने वाले, सबका यही हाल है | इसमें साधारण आदमी जो वास्तविक (देश के भले के लिए वोट करने वाला) वोटर होता है उसका कुछ वस नहीं चलता | क्योंकि सभी राजनितिक दलों की वैसी ही स्थिति है जैसे एक नागनाथ है तो दूसरा सांपनाथ, कोई भेड़िया है तो कोई शेर | इसलिए इस व्यवस्था में तो कुछ नहीं हो सकता। इसके लिए तो व्यवस्था परिवर्तन ही होना चाहिए । दोबारा से आजादी का आन्दोलन...... और कुछ नहीं ।
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बिलकुल सही कहा आपने
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