समेत सभी आर्थिक भ्रष्टाचार को पेट भरने की चीज समझता है) ।
अगला सवाल.........?
जब इन्हें पता है कि रिशवत खाकर जेल होनी है; तो इन्हें डर क्यों
नहीं लगता ?(वह समझता है कि पकड़े तो सभी ने जाना हैं, फिर भी
ये खाते रहते हैं)।
फिर से प्रश्न.........?
कि ये इतनी रिशवत क्यों खाते हैं ? कि पेट भरने के बाद भी वह इतनी
ज्यादा हो; कि सबको दिखे।
इन सबका उत्तर क्या हो सकता हैं ? मैं सोच में पड़
निचोड़ निकला कि भगवान् ने संसार में कुछ प्राणी ऐसे बनाये हैं कि
जिनका पेट तो भर जाता हैं; पर नीयत नहीं भरती ऐसा ही एक प्राणी हैं “कुत्ता”
जो चाहे कितना ही खा ले पर नीयत नहीं भरती, वह पिटता है, दुत्कारा
जाता है, भगाया जाता है पर फिर भी खाने या "अन्य" लोभ का त्याग
नहीं कर पाता।
“विशेषकर आवारा कुत्ता”
कहते हैं रोटी खाने से बुद्धि और शारीर का विकास होता हैं, तो; क्या वास्तव
में ये रिशवत खाने वाले रोटी नहीं खाते होंगे ?
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