‘ये एक सच्चाई की प्रस्तुति कर रहा हूँ,टी.वी.न्यूज चैनल वालों के तरीके(स्टाईल) से। हो सकता है आपको इस धोखा धड़ी का पता हो, अगर न भी हो तो अब लग जायेगा। हमारा उद्येश्य तो दोनों बातों को लेकर है; एक तो सच्चाई(ठगी) बताना और दूसरा समाचार चैनलों की "ढिठाई" बताना। कि इतने बड़े समाचार को इन चैनलों ने बिलकुल नजर अंदाज कर दिया । अगर ये उस समाचार को प्रदर्शित करते और अपने उपरोक्त विशेष तरीके से प्रदर्शित करते; तो क्या होता ?
ये देशभक्त नहीं रह जाते ? इनको अपनी देशभक्ति कम होने का डर होता .....? खैर ; ये हम तो नहीं जानते पर इनके दिलों में कुछ तो डर हीन है तभी तो ये इस तरह के समाचारों को "बंक" कर जाते हैं । पर फिर भी अपने को बहुत जिम्मेदार कहते नहीं थकते। और जिम्मेदार दिखने के लिए नक्सलवादियों का प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन करने वालों का ये भी समर्थन करते हैं। इससे लगता है कि कहीं न कहीं ये बेईमान हैं। चलो.... ! हम क्या कर सकते हैं इनके पापी पेट का सवाल है |
तो जनाब दिल थाम कर बैठिये.....! कहीं रुक न जाये (दिल).....! अब वो सच जानने का समय आ गया है....! आपका इन्तजार ख़त्म ....! हम बताने वाले हैं आपको विश्व की सबसे बड़ी जालसाजी.....! आप सोच भी नहीं सकते की "वो" महान लोग इतनी बड़ी धोखाधड़ी कर सकते हैं .......! बस एक छोटा सा ब्रेक फिर दिखायेंगे आपको कैसे अंजाम दिया गया इस धोखा धड़ी को...., ............................... ब्रेक के बाद , जानना चाहेंगे आप कि हमारे देश के लगभग पचास करोड़ लोगों को भनक तक नहीं लगी इस धोखे की....! आपको दिखायेंगे...., सबकुछ दिखायेंगे। दस्तावेज केवल हमारे पास हैं, बस कहीं जाईयेगा नहीं , देखते रहिये मीडिया टी.वी. ।
....................ब्रेक के बाद; आपका फिर स्वागत है आपका इंतजार ख़त्म...., हम एक ऐसी साजिश का भंडाफोड़ करने जा रहे हैं जो बड़े-बड़ों की महानता पर सवालिया निशान लगाती है.......,जिससे देश के आज भी एक सौ पंद्रह करोड़ लोग अनजान हैं...., पर अब अनजान नहीं रहेंगे....., कुछ ही पलों में मीडिया टी.वी. आपको सच बताने जा रहा है...., सब कुछ बताएँगे; कैसे इस साजिश को अंजाम दिया गया..... ; कैसे हमारे रिपोर्टरों ने अपनी जान पर खेल कर इस साजिश का पता लगाया......, तो दोस्तो इन्तजार ख़त्म...., हम बताते हैं आपको एक सच्चाई...., भारत को आजादी नहीं मिली थी केवल एक करारनामा हुआ था जिसे नाम दिया गया "एग्रीमेंट ऑफ पॉवर ट्रांसफर", और इसे कबूलने वाले थे हमारे सभी महान नेता जिन्होंने अंग्रजों से लोहा लिया था, पर एन टाईम पर वह जल्दबाजी कर बैठे, अब ये विवेचना का विषय है कि जल्दबाजी कारी या अंग्रेजों की चाल में फंस गए या कोई मिलीभगत है साजिश है या कुछ और है, भई हम तो इसे साजिश ही मानेंगे; क्योंकि हमारी तथाकथित आजादी के इतने सालों बाद भी अगर हम उन्हीं विदेशी कानूनों, विदेशी शिक्षा, विदेशी न्याय व्यवस्था को सहने के लिए मजबूर हैं जिसके विरोध में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जानें कुर्बान कर दी ; तो यह एक साजिश के तहत ही हुआ हो सकता है और ये साजिश अंग्रेजों के साथ मिल कर हमारे उन नेताओं ने की जिन्हें हम महान समझते हैं। इसी विषय पर हम आपसे "एस एम एस" भी इन्वाइट कर रहे हैं हमारा सवाल है कि "क्या हमारी आजादी एक साजिश थी" आपका जवाब केवल हाँ या न में मीडिया टी.वी. पोल-खोल टाईप करें और हाँ के लिए वाई - न के लिए एन टाईप कर के सेंड कर दें। हमारे साथ स्टूडियो में बात करने के लिए श्री ...... और श्री.......... और......... श्री ............ हैं और ............................. ।
तो जनाब दिल थाम कर बैठिये.....! कहीं रुक न जाये (दिल).....! अब वो सच जानने का समय आ गया है....! आपका इन्तजार ख़त्म ....! हम बताने वाले हैं आपको विश्व की सबसे बड़ी जालसाजी.....! आप सोच भी नहीं सकते की "वो" महान लोग इतनी बड़ी धोखाधड़ी कर सकते हैं .......! बस एक छोटा सा ब्रेक फिर दिखायेंगे आपको कैसे अंजाम दिया गया इस धोखा धड़ी को...., ............................... ब्रेक के बाद , जानना चाहेंगे आप कि हमारे देश के लगभग पचास करोड़ लोगों को भनक तक नहीं लगी इस धोखे की....! आपको दिखायेंगे...., सबकुछ दिखायेंगे। दस्तावेज केवल हमारे पास हैं, बस कहीं जाईयेगा नहीं , देखते रहिये मीडिया टी.वी. ।
....................ब्रेक के बाद; आपका फिर स्वागत है आपका इंतजार ख़त्म...., हम एक ऐसी साजिश का भंडाफोड़ करने जा रहे हैं जो बड़े-बड़ों की महानता पर सवालिया निशान लगाती है.......,जिससे देश के आज भी एक सौ पंद्रह करोड़ लोग अनजान हैं...., पर अब अनजान नहीं रहेंगे....., कुछ ही पलों में मीडिया टी.वी. आपको सच बताने जा रहा है...., सब कुछ बताएँगे; कैसे इस साजिश को अंजाम दिया गया..... ; कैसे हमारे रिपोर्टरों ने अपनी जान पर खेल कर इस साजिश का पता लगाया......, तो दोस्तो इन्तजार ख़त्म...., हम बताते हैं आपको एक सच्चाई...., भारत को आजादी नहीं मिली थी केवल एक करारनामा हुआ था जिसे नाम दिया गया "एग्रीमेंट ऑफ पॉवर ट्रांसफर", और इसे कबूलने वाले थे हमारे सभी महान नेता जिन्होंने अंग्रजों से लोहा लिया था, पर एन टाईम पर वह जल्दबाजी कर बैठे, अब ये विवेचना का विषय है कि जल्दबाजी कारी या अंग्रेजों की चाल में फंस गए या कोई मिलीभगत है साजिश है या कुछ और है, भई हम तो इसे साजिश ही मानेंगे; क्योंकि हमारी तथाकथित आजादी के इतने सालों बाद भी अगर हम उन्हीं विदेशी कानूनों, विदेशी शिक्षा, विदेशी न्याय व्यवस्था को सहने के लिए मजबूर हैं जिसके विरोध में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जानें कुर्बान कर दी ; तो यह एक साजिश के तहत ही हुआ हो सकता है और ये साजिश अंग्रेजों के साथ मिल कर हमारे उन नेताओं ने की जिन्हें हम महान समझते हैं। इसी विषय पर हम आपसे "एस एम एस" भी इन्वाइट कर रहे हैं हमारा सवाल है कि "क्या हमारी आजादी एक साजिश थी" आपका जवाब केवल हाँ या न में मीडिया टी.वी. पोल-खोल टाईप करें और हाँ के लिए वाई - न के लिए एन टाईप कर के सेंड कर दें। हमारे साथ स्टूडियो में बात करने के लिए श्री ...... और श्री.......... और......... श्री ............ हैं और ............................. ।
तो साहब ये सच्चाई है । हमारी आजादी की | अब मेरा सवाल; जो मैं पहले भी कह चुका हूँ कि "जब हमने सब कुछ वही रखना था तो फिर क्यों अंग्रेजों से लडाई लड़ी और जानें दीं" ।और ये सच्चाई वास्तव में बाबा रामदेव जी की द्वारा उदघाटित की गयी है साथ ही उस समय के उन दस्तावेजों (या डील कहना चाहिए ) के बड़े-बड़े वाल्यूम बाबा जी बताते हैं कि उनके पास हैं |
bahut khub
ReplyDeleteshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
60 वर्षों से पूरे देश से करों के रूप में संगृहीत राजस्व से कश्मीर में पाक परस्तों का पोषण करते हुए,ऐसे तत्वों का प्रभुत्व बढाया जारहा है। साम दाम दंड भेद का ढुलमुल उपयोग कर आधी शताब्दी में जिन से मुट्ठी भर आतंकी इस देश से खदेडे नही जा सके,उनका यह दावा कि हमने बिना खडग ढाल अंग्रेजों से भारत आजाद कराया, अविश्वसनीय सा लगता है। निश्चित ही अंग्रेज इन से डर कर नही , क्रांतिकारियों से डर कर भागे थे।..... महाचर्चा के सूत्र 02/3/10
ReplyDeleteइन्हें भी पढ़ें: महाचर्चा के सूत्र "भारतचौपाल" में पूर्व प्रकाशित लेख के अंश+ अँधेरा मिटाते नहीं फैलाते टीवी चैनल
ReplyDeleteApr 19, 2010 | Author: तिलक रेलन | Source: भारतचौपाल:-देश की मिटटी की सुगंध--
ईटीवी के एक पूर्व स्ट्रिंगर की गाथा (क्या, यह शोषण नहीं है?) [read more]
अँधेरा मिटाते नहीं फैलाते टीवी चैनल
Apr 19, 2010 | Author: तिलक रेलन | Source: देश की मिटटी--
ईटीवी के एक पूर्व स्ट्रिंगर की गाथा (क्या, यह शोषण नहीं है?) [read more]
सड़क किनारे तेल बेचने वाले मदारियों का अंदाज भी हूबहू यही होता है..........
ReplyDelete"मेरे सीने मे नहीं ,तो तेरे सीने मे सही
ReplyDeleteहो कही भी आग लेकिन , आग लगनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए "
(दुष्यंत कुमार )
साहसिक कहूँ या फिर दुस्साहिक लेखन ? जो भो हो एक कडुवा सच आप सामने लाये ,
बहुत- बहुत बधाई इस लेखन हेतु ......