प्रकृति ( ईश्वर ) के लिए जापान हो या कोई अन्य देश; पूरी पृथ्वी एक इकाई है । इसी तरह मानव के रूप में; जापान का हो या जर्मनी का प्रकृति के लिए वह एक ही इकाई है । इसलिए जापान का व्यक्ति कोई ऐसा कार्य करे जिससे प्रकृति को हानि पहुंचे तो उसका फल ( दुष्प्रभाव) दूसरे कौने में रहने वाले व्यक्ति को भी पहुंचेगा चाहे कुछ देर से पहुंचे |
इस तरह की आपदाएं जापान के इतिहास में पहले भी आई होंगी, उनके क्या कारण रहे यह तो इतिहास ही जाने; पर वर्तमान में तो इसके पीछे मानव का ही हाथ है। प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ और अपने लिए ही गड्ढा खोद कर रखने वाली बात मनुष्य ही कर रहा है। अपने को सर्वशक्तिमान समझने लगना बहुत बड़ी मूर्खता है।
जापान जैसा मजबूत राष्ट्र भूकंप झेलता रहता है इस समय भी झेल लेता; क्योंकि उसके पास विज्ञान और दृढ़ता है। अपने देश के प्रति नैतिकता है, पर; प्रकृति के प्रति भी नैतिकता होनी चाहिए थी , उसमे शायद वह भूल कर गया । भूकंप रोधी तकनीक से बने भवन, सुनामी की जानकारी देने वाले उपकरणों और रेडियेशन से बचाव की तकनीक भी (हो सकता है) उसके पास होगी, पर प्रकृति कहाँ माने……; जैसे अपने होने का अहसास करना हो, जैसे मनुष्य उसे भूल चका हो ।
पहले भूकंप फिर सुनामी लहरों से जापान को पाट दिया इन्हें तो प्राकृतिक प्रकोप माना गया, पर जो रिएक्टरों में विस्फोट हो रहे हैं वह तो मानव निर्मित ही हैं। मनुष्य अपने आप अपने लिए गड्ढा खोद कर अपनी पीठ थपथपाता है । आज जापान या दुनिया का शायद ही कोई व्यक्ति हो जो उसके परमाणु रिएक्टरों पर पश्चाताप न कर रहा हो कि ऐसे प्राकृतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में इन्हें नहीं बनाना चाहिए था ।
आपको और आपके परिवार को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपके विचारों से सौ फीसदी सहमत हूँ |
ReplyDeleteअजी हमने तो कहीं पढ़ा है कि जापान ने इस्लाम प्ररिबंधित कर दिया इसीलिए भूकंप आया ...वो भी जुमे के रोज ..... विश्वास न हो तो ये देखिये :
ReplyDeletehttp://swachchhsandesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html
हाहहाहा जापान में भूकंप इस्लाम से आया ? अरे जापान में ही परमाणु बम सबसे पहले फोड़ा गया था. क्या उस समय भी जापान ने इस्लाम पर पर्तिबंध लगाया था.
ReplyDeleteसहमत हूँ. देखा जाय तो बहुत से पाश्चात्य वैज्ञानिकों की दृष्टि अब भारतीय संस्कृति पर है दुनिया को बेहतर बनाने हेतु. जैसे हवन से पर्यावरण प्रदुषण पर नियंत्रण हहेतु कई विदेशी लोग काम कर रहे हैं. आप लोगो ने तो पढ़ा ही होगा.
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