कुछ देखा-सुना आपने ! अब अपने भारत को एक और देवी मिल गयी है;“अंग्रेजी देवी”। अब इसका मंदिर भी बन रहा है। “ कितने बुद्धिमान हो जाते हैं अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त करके” ये सिद्ध कर रहे हैं इसको बनवाने वाले, संभवतः अंग्रेजी में निपुण हों। पर इन्होंने ध्यान नहीं दिया अंग्रेजी के ज्ञान को सर्वोपरि मानने वाले उसकी आरती हिंदी में ही गवा रहे हैं, इस पर जरा ध्यान दो वरना अंग्रेजी मईया पर श्रद्धा नहीं बन पायेगी।
वाह रे ! मानवता के भारतीय सपूतो आपने ये सिद्ध कर दिया है कि आप लोग कितने विद्वान् हो, आखिर अंग्रेजी पढ़े हो। पर तुम्हारे आका (मिशनरीज) तो चर्चों को ज्ञान का द्वार बताते थे तुम ये भारतीयों की तरह मंदिर बनवा रहे हो ?कमसेकम भारतीयता तो नहीं छोड़ी, वरना चर्च बनवाते, बोर्डिंग स्कूल बनवाते ।
दलित उत्थान के लिए आपका ये योगदान याद रखा जायेगा। अब भारत में भी सभी दलित काम चाहे कुछ भी करें पर अंग्रेजी बोलेंगे, जैसे इंग्लेंड में झाड़ू लगाने वाला या बढई-लुहार कोई भी हो सभी अंग्रेजी बोलते हैं, वहां का तो अनपढ़ भिखारी भी अंग्रेजी में ही भीख मांगता है।
मैकाले की आत्मा कितनी प्रसन्न हो रही होगी आप जैसे अंग्रेज विद्वानों का ये कारनामा देख कर। बस उसके में मन यही एक टीस होगी कि उसकी आरती आपलोग अंग्रेजी में नहीं बनवा पाए।
ब्रिटेन जूते लेकर भारतीयों की सेवा के लिये खड़ा है फिर भी अंग्रेजी का मंदिर?
ReplyDeleteराष्ट्र संत मुनि श्री पुलक महाराज जी के अनुसार ....
ReplyDeleteए फार एप्पल, जेड फार जेब्रा , अ से अनार ,ज्ञ से ज्ञानी ..
अर्थात ..
अन्रेजी एपल से आरंभ होती है और जेब्रा (गधा प्रजाति ) बनाकर छोडती है
जबकि हिंदी अनार से आरंभ होती है और ज्ञानी बनाकर छोडती है
चिंतनीय पोस्ट हेतु आभार