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Thursday, October 21, 2010

‘क्यों भाई तुम्हें किस बात का गर्व है’ ?

हमें गर्व है कि हम भारतीय हैं”, क्यों भाई तुम्हें किस बात का गर्व है’ ? जरा हमें भी तो बताओ हम भी जानें आपने अपनागर्वकिस मापक से मापा है ? भारत के धर्म-संस्कृति, सभ्यता- संस्कार, भाषा-साहित्य,इतिहास प्रतीक पुरुषों पर तुम्हें विश्वास नहीं है तो गर्व कैसे होगा ?
क्षमा करना ये प्रश्न केवल उन लोगों से है जिन्हें भारत के धर्म-संस्कृति, सभ्यता- संस्कार, भाषा-साहित्य, कुछ भी श्रेष्ठ नहीं दीखता , फिर भी जोर-शोर से कहते हैंहमें गर्व है कि हम भारतीय हैं
नेताओं जैसे बड़े-बड़े बुद्धिजीवी दावा करते थकते नहीं हैं।गर्व से कहो हम भारतीय हैं इनसे कहो की संसार केसर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ वेद और सर्वश्रेष्ठ भाषा संस्कृत”, भारत के हैं तो इन्हें अच्छा नहीं लगता
तो सवाल बनता है !कि किस बात का गर्व है”? इसलिए बताओ तो जरा ! किसी भी देश के नागरिक को उस देश का नागरिक होने पर किस लिए गर्व होता है ? भारतीयों के उपरोक्त मूल्यों पर अगर आस्था नहीं है तो आपकी देशभक्ति का दावा संदिग्ध है चाहे आप किसी पूजा-पद्दति को अपनाते हैं पर अपने आध्यात्मिक-ऐतिहासिक-सांस्कृतिक-भाषा-साहित्य के मूल्यों पर आपको गर्व नहीं है तो भारत पर गर्व करने के लिए क्या है

3 comments:

  1. बहुत दमदार लिखा है. भारतीय प्रतिकों में साम्प्रदायिकता सूँघने वाले भारत पर गर्व कैसे कर सकते है? इनके बिना भी कोई भारत बचता है भला?

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  2. आप सच कह रहे है बात एसे कहे की दुसरे को समझ में आये की हम महान क्यों है

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