आदमी ;
मरने के बाद ,
कुछ नहीं सोचता |
आदमी ;
मरने के बाद ,
कुछ नहीं बोलता |
कुछ नहीं सोचने
और
कुछ नहीं बोलने पर ;
आदमी
मर जाता है।
उदय प्रकाश की लिखीं
ये पंक्तियाँ मैंने उत्तराखंड की पत्रिका
रीजनल रिपोर्टर में पढीं | सोचा ब्लोगरों के
लिए भी लिख दूँ ।
तभी मेरे मित्र जोशी जी आ गए उनहोंने
चार लाईन और जोड़ दी ;
कि
जो कुछ नहीं पढता ,
जो कुछ नही लिखता |
जब लिखता नहीं ,
जब पढता नहीं ,
आदमी मर जाता है।
marna satya hain
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
कविता सत्य कहती है.
ReplyDeleteऔर फिर जोड़ी हुई लाईने भी सार्थक और मूल कविता से सन्दर्भित
sahi kaha...
ReplyDeleteसत्य को कहती अच्छी रचना
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