मैं भारत हूँ,
वर्तमान में बहुत शर्मिंदा हूँ ।
अपराध,भ्रष्टाचार,अनैतिकता से त्रस्त,
अपने भ्रष्ट नेताओं के कारण ।
“मैं” जिन्दा हूँ ,
"क्योंकि; मैं भारत हूँ",
गिरता हूँ फिर उठता हूँ,
हर बार संभालता हूँ,
हर बार जलता हूँ
अपनों कि लगायी आग के कारण ।
फिर भी…
मैं जिन्दा हूँ ,
"क्योंकि;मैं भारत हूँ" ,
मैं डरता नहीं ,मैं मरता नहीं,
मेरे पास, अतीत की संजीवनी है ;
जो संस्कृति – संस्कारों से बनी है,
मैं कुछ समय के बाद
फिर मूर्च्छा से जागता हूँ,
अपने महापुरुषों के कारण ।
मैं जिन्दा हूँ
"क्योंकि मैं भारत हूँ"।
मै भारत हूँ अपने अतीत पर सर्मिंदा हूँ मैँ, इस लेख के लिऐ आपको बधाईयाँ ।
ReplyDeleteetips-blog.blogspot.com
बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट
ReplyDeletewaah....
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