हाय रे गरीब(आम) आदमी…. बड़ा ढीठ है रे तू, कितना कुछ सह लिया पर, तू ख़त्म नहीं हुआ। इस देश की सब समस्याओं की जड़ तू ही है। सबसे ज्यादा संख्या में होते हुए भी, तू गरीब ही रहा क्योंकि बँटा रहा- एक नहीं हुआ। जातिवाद,प्रान्तवाद,वर्गवाद,सम्प्रदायवाद, सबका संचालक तू ही है। महामूर्ख तो इतना है कि नेता-अभिनेता,उद्योगपति-अधिकारी,
पंडे -पुजारी,मुल्ला -मौलवी,किसी के भी बहकावे में आ जाता है । हर बार अपने ही सर पर कुल्हाड़ी मरता है। तू खाता-पीता(गरीब नहीं) है तब भी मूर्ख ही है और गरीब है तो मूर्ख बने रहना तेरी मज़बूरी है। चुनावों में कुछ खा-पी कर वोट देना तेरे ही लिए घातक होता है, तुझे आज तक समझ नहीं आया। या जाति- धर्म के नाम पर वोट देकर कौन सा तेरा भला हुआ मुझे भी बताना। आरक्षण देने न देने के नाम पर जितना तू आपस में लड़ा और अपनी ही हानि की ,उससे तो कई गुना ज्यादा फायदा नेताओं ने उठा लिया, पर तुझे समझ नहीं आया। नेताओं ने जब चाहा तुझे लड़वाया, अधिकारियों ने जब चाहा तुझे लूटा , उद्योगपतियों ने तुझे लूटा , अभिनेता तो सिनेमा व विज्ञापन के नाम पर तुझे इतना लूट चुके हैं कि उनका स्वभाव ही बन गया है। इन्हीं की देखा देखी खिलाड़ी भी तुझे जान गए कि कितना मूर्ख है वो भी अपने खेल व विज्ञापनों से तुझे लूट रहे हैं। ये सब इतने शातिर हैं कि तेरी भाषा में बोलना तक छोड़ देते हैं, और तू इनके पीछे पागल होता घूमता है। अपने देश के सारे उद्योग-व्यापर तेरे ही भरोसे हैं क्योंकि सबसे बड़ी संख्या तेरी है। अपने देश के ही क्यों विदेशी भी तेरी मूर्खता देख कर तुझे लूटने यहाँ आ गए , एक दो नहीं, हजारों की संख्या में आ गए। तेरे नेताओं(जिनपर तू जान छिड़कता है) की मिलीभगत से ये विदेशी कम्पनियां न केवल तुझे लूट रहीं हैं बल्कि तेरी जड़ों (संस्कारों) को भी खोद रहीं हैं। इनके दलाल भी तेरे ही बीच से निकल कर चालाक हो गए और तेरी मूर्खता का लाभ उठाने लगे। पर तू नहीं समझ पाया। समझ नहीं आता तुझे मूर्ख कहूँ या भोला कहूँ क्योंकि तेरे इसी गुण के कारण भगवान् राम ने रावण पर विजय पायी थी , तेरे इसी गुण के कारण स्वंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों को खदेड़ा था पर तेरे इसी गुण के कारण सदियों से सब (जो थोड़ा सा चालक होता है) तेरे पर राज कर रहे हैं। तू अजर है- अमर है- अविनाशी है, सदियों पहले भी था-सदियों बाद तक भी रहेगा। और तुझे क्या कहूँ.... ?
तू अजर है अमर है अविनाशी है
ReplyDeleteकभी बुखार है तुझे कभी खाँसी है
हर पल बेशक तेरे चेहरे पर उदासी है
तू अजर है अमर है अविनाशी है